tag:blogger.com,1999:blog-46275128681401710822024-03-13T17:34:00.687-07:00रसभरी कहानियां sweet storiesजीवन के खट्टे मीठे रस से ओतप्रोत । सुख दुख को । धूप छाँव को सुनाती । गुनगुनाती । कुछ रचनायें । kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.comBlogger42125tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-34723349443624353832012-06-01T19:42:00.000-07:002012-06-01T19:42:11.726-07:00monument 6
माया संस्कृति के कैलेंडर का 1 महत्वपूर्ण भाग 21 DEC 2012 को समाप्त हो रहा है । और अधिसंख्य ज्योतिष और खगोल शास्त्री मानते हैं कि - इस दिन कुछ ना कुछ जरूर होगा । माया संस्कृति 300 ad से लेकर 900 ad तक मध्य अमेरिका में विकसित हुई थी । यह स्थान आज मैक्सिको नामक देश के रूप में जाना जाता है । माया संस्कृति के लोग प्रखर खगोल शास्त्री और ज्योतिष थे । उनके द्वारा विकसित लोंग काउंट कैलेंडर 3114 kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-1236764085996850092012-06-01T19:36:00.000-07:002012-06-01T19:36:38.762-07:00BIG BANG
दूनिया का अब तक का सबसे बडा वैज्ञानिक परीक्षण फ्रांस और इटली की सीमा के पास किया जायेगा । इस परीक्षण से वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अंतरिक्ष की उत्पत्ति सहित कई सारी अन्य बातों की खोज की जा सकेगी । कुछ लोगों द्वारा इस प्रयोग को पृथ्वी के विनाश का कारण बताया जा रहा है । लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं होगा ।
क्या है परीक्षण ? यूरोपियन आर्गेनाइजेशन फोर न्यूक्लियर रिसर्च यानी सर्न द्वारा किये जा kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-7243640939504336312012-06-01T19:31:00.000-07:002012-06-01T19:31:08.935-07:0021 दिसम्बर 2012
काफी समय से चर्चा में नीबीरू को planet X भी कहा जाता है । भारत में भी विशेषकर निजी टेलीविजन चैनल उसका खूब ढोल पीट रहे हैं । कहते हैं कि 21 DEC 2012 को महा प्रलय आने वाला है । दुनिया नष्ट होने वाली है । माया सभ्यता के लोग इसकी भविष्यवाणी कर गये हैं । उनका कैलेंडर इसी तारीख के साथ समाप्त हो जाता है ।
तथ्य यह है कि अमेरिकी महाद्वीप पर माया सभ्यता स्वयं भी कब की लुप्त हो चुकी है । उसके कैलेंडर के kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-21617097509839874582012-06-01T19:22:00.000-07:002012-06-01T19:22:11.930-07:0021 DEC 2012 महा प्रलय
21 DEC 2012 को पूरी दुनिया काल के गाल में समा जाएगी ? भविष्यवाणियों अनुमानों और दावों का दौर जारी है । इससे पहले 21 MAY 2011 को प्रलय की भविष्यवाणियां की गई थीं । लेकिन सब कुछ पहले की तरह ही चल रहा है । इन अनुमानों के माध्यम से लोगों में कहीं अनावश्यक भय तो पैदा नहीं किया जा रहा है ?
अंधविश्वास और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित यह भविष्य आकलन कितने सही हैं । यह तो आने वाला समय ही kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-81894652407924849952012-06-01T19:13:00.000-07:002012-06-01T19:13:00.443-07:0021 DEC 2012
हमारी आकाश गंगा galaxy जिसका नाम है - मिल्की वे । इस आकाश गंगा में धरती 1 छोटा सा ग्रह मात्र है । जो कि मिल्की वे के विशालकाय तारों और अन्य ग्रहों के मुकाबले 1 छोटे से कंकर के समान है । 1 आकाश गंगा में अरबों तारे ( लगभग 250 बिलियन ( अरब ) सितारों का समूह ) ग्रह । नक्षत्र और सूर्य हो सकते हैं ।
हमारी आकाश गंगा की तरह लाखों आकाश गंगायें हैं । प्रत्येक आकाश गंगा galaxy में सितारों के परिवार kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-27216536029265263382012-05-31T21:03:00.000-07:002012-05-31T21:03:55.643-07:00मोहन राकेश 1 परिचय
कहानीकार उपन्यासकार मोहन राकेश का जन्म 8 JAN 1925 को अमृतसर में हुआ । और इनकी आकस्मिक मृत्यु 3 JAN 1972 को नई दिल्ली में हुयी । श्री मोहन राकेश नई कहानी आन्दोलन के सशक्त हस्ताक्षर हैं । इन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में M.A किया । तथा जीविकोपार्जन के लिये अध्यापन कार्य किया । मोहन राकेश कुछ वर्षो तक 'सारिका' के संपादक रहे । 'आषाढ़ का एक दिन' 'आधे अधूरे' और 'लहरों के kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-16599706662516759322012-04-21T06:22:00.001-07:002012-04-21T06:22:27.432-07:00जब जमीन पर था डायनासोरों का राज
अब से लगभग 6.5 करोड़ वर्ष पहले । हमारी इस पृथ्वी पर डायनासोरों का एकछत्र राज था । बेहद भारी भरकम और विशालकाय ये अजीव प्राणी कैसे विलुप्त हुये ? इस बारे में कई तरह की अवधारणाएं हैं । लेकिन इनमें जो सच के सबसे करीब लगती है । वह यह कि - एक क्षुद्र ग्रह से पृथ्वी से टकराने के कारण भारी मात्रा में धूल के विशाल बादलों ने तमाम वायुमंडल को ढक लिया । और कई महीनों तक सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक नहीं kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-74728324189398918352012-04-21T06:13:00.000-07:002012-04-21T06:13:49.297-07:00नोम्मो
अफ्रीका में मिलने वाले कई अन्य कबीलों की तरह माली देश में रहने वाले कबीले डोगोन का इतिहास भी तमाम तरह के चौका देने वाले अदभुत किस्सों से भरा पड़ा है । 13वीं से 16वीं शताब्दी के मध्य यह कबीला बंदियागारा पठार पर कभी आकर बस गया था । जो टिम्बकटू से 300 मील दूर दक्षिण में स्थित है ।
आज भी यह लोग सूखी घास और मिट्टी आदि से बनाये गए झोपड़ों में ही रहते हैं । कई शताब्दियाँ बीत जाने के बाद भी इन लोगों kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-81355158504978924442012-04-09T19:43:00.000-07:002012-04-09T19:43:49.178-07:00डायन और चुड़ैलबहुत पुराने समय से ही तमाम लोगों का डायन और चुड़ैल के अस्तित्व पर बेहद विश्वास रहा है । लोगों का यह भी मानना है कि ये डायनें टोना टोटका और काले जादू से आम लोगों का भारी नुकसान करने की क्षमता भी रखती हैं । डायनों की इसी काली करतूत की वजह से उन महिलाओं को भयंकर यातनायें देने के साथ साथ उन्हें जिंदा भी जला दिया गया । जिन पर इस तरह के आरोप थे । यहाँ तक कि जोन ऑफ आर्क को लेकर शीबा की रानी तक पर डायन kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-26670800028850906352012-04-09T19:35:00.000-07:002012-04-09T19:35:50.003-07:00भूत प्रेत दुष्ट आत्मायें होती हैबुलगारिया के भूत के विषय में यह भी कहा जाता है कि यह किस्म किस्म के रूप बदलनें में माहिर होता है । भूत कैसे बनते हैं ? इसके विषय में दुनिया में बहुत अलग अलग मान्यतायें है । बुलगारिया में इन्हें अतृप्त आत्मा के रूप में बताया गया है । भूत प्रेत या तो दुष्ट आत्मायें होती है । या ऐसे लोग । जिनकी कोई इच्छा अधूरी रह गयी होती है । कुछ कहानियों में इन्हें अकाल मृत्यु से मरे हुए लोगों के रूप में बताया kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-27220968152613252542012-04-08T19:47:00.000-07:002012-04-08T19:47:59.043-07:00हत्यारा बेटाअगस्त 1985 रात के 3 बजकर 30 मिनट । एसेक्स ( इंगलैण्ड ) के पूर्व में स्थित गांव टॉलशन्ट डे आर्सी की ओर एक पुलिस गाङी बढ़ रही थी । जिसमें सारजेंट क्रिस्टोफर और कांस्टेबल स्टीफन तथा रॉबिन बैठे थे ।
कुछ ही मिनट पहले 24 वर्षीय किसान जेरेमी बाम्बर ने पुलिस को फोन कर बताया - मैं गांव गोल्ड हैगर में रहता हूँ । अभी मेरे पिता नेविल ने मुझे फोन कर कहा - तुम्हारी बहन पागल हो गयी है । उसके हाथ में kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-27789310742997273712012-04-08T19:37:00.000-07:002012-04-08T19:37:44.436-07:00रहस्यमय शव कक्षवैसे तो हर घटना के पीछे ही कोई न कोई वैज्ञानिक आधार होता है । लेकिन कभी कभी कई बार ऐसी भी घटना्यें सामने आती हैं । जिसके पीछे कोई प्रत्यक्ष वजह नजर ही नहीं आती । और तब ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे इसके पीछे शायद कोई अदृश्य शक्ति ही हो ।
वेस्ट इंडीज के बार्बाडोस में क्राइस्ट चर्च के पीछे बने विशाल कब्रिस्तान में इसी तरह की एक घटना 19वीं सदी में सबकी जिज्ञासा का केंद्र बनी रही । जहाँ चेज परिवार kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-19511053464752024412012-04-06T06:49:00.001-07:002012-04-06T18:53:55.033-07:00आप इन सब में कहाँ पर हैं ?आपने किसी खूबसूरत कार को देखा । उसकी पालिश को छुआ । उसके रूप आकार को देखा । इससे जो उपजा । वह संवेदन है । उसके बाद विचार का आगमन होता है । जो कहता है - कितना अच्छा हो कि यदि यह मुझे मिल जाये । कितना अच्छा हो कि - मैं इसमें बैठूं । और इसकी सवारी करता हुआ कहीं दूर निकल जाऊँ । तो इस सब में क्या हो रहा है ? विचार दखल देता है । संवेदना को रूप आकार देता है । विचार आपकी संवेदना को वह काल्पनिक छवि देता kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-55407887930741515172012-04-04T06:26:00.001-07:002012-04-08T19:49:00.695-07:00क्योंकि वाकई हम कुछ भी नहीं हैंक्यों कल्पनाएं और सिद्धांत हमारे दिमाग में जड़ें बना लेते हैं ? क्यों हमारे लिए तथ्य सर्वाधिक महत्वपूर्ण नहीं हो जाते । बजाय संकल्पनाओं के । सिद्धांतों के ? क्यों संकल्पनात्मक । सैद्धांतिक पक्ष तथ्यों की अपेक्षा इतना महत्वपूर्ण हो जाता है । क्या हम तथ्य को नहीं समझ पाते । या हम में इसकी सामर्थ्य ही नहीं है । या हम तथ्य का । सच का सामना करने से डरते हैं ? इसलिए आयडियाज । विचार । संकल्पनाएं । kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-16182284353767716072012-04-04T06:09:00.000-07:002012-04-04T06:09:52.407-07:00अँधेरे के पीछेlove you मैं हूँ तो आराम पर । लेकिन आपके बारे में अक्सर सोचती रहती हूँ । जैसे आप मेरी इतनी चिन्ता करते हैं । राजीव जी ! 1 हल्का सा suggestion और था । इसे भी specially note कर लीजिये । जैसे कि मैंने कहा था कि जस्सी वाली कहानी में आप आत्मा के बारे में ये लाइन कहानी के किसी खास मोङ पर ही लिखेंगे । किसी को समझाने के लिये - आत्मा अनादि अजन्मा अमर अजर और अविनाशी है । ये तो जस्सी वाली कहानी में लिखना ही kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-26634775449208558102012-04-04T04:01:00.000-07:002012-04-04T04:01:57.447-07:00अँधेरा - परदे के पीछेवो कितनी एक्सपर्ट है । मैं आपसे बेहतर जानती हूँ । उसको छोडिये । मैं आपसे अपने दिल की बात इसलिये कह बैठी । क्यूँ कि पिछ्ले हफ़्ते सपने में मैंने 1 अजनबी से सेक्स किया था । मैंने आपको देखा तो नहीं है । लेकिन मैं आपके बारे में अक्सर सोचती रहती हूँ । सपने में कोई घर पर नहीं था । मैं अपने बेडरूम में किसी अजनबी से सेक्स कर रही थी । सेक्स के दौरान मेरे मुँह से ये निकल रहा था - .... जी जरा आराम से प्लीज kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-16564346930622091672012-04-02T20:24:00.000-07:002012-04-02T20:24:16.618-07:00कामवासना - परदे के पीछेलेकिन आज अचानक मेरे शैतानी दिमाग में कुछ बातें बल्ब की तरफ़ जगमगा उठी । तो मैंने सोचा कि तुम्हें कुछ और । लेकिन छोटे छोटे प्वाइंटस लिख कर भेजूँ ।
इस आने वाली कहानी में भाभी का तबला बजा देना । जानते हो न । तबला कैसे बजाया जाता है ? औरत का । ध्यान रखना । भाभी का तबला बजाना है । उसकी ढोलक नहीं फ़ाडनी । औरत का तबला बजाने का भी 1 तरीका होता है । सुर ताल के साथ ही औरत का सही तरीके से तबला बजता है । बस kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-24711927400824091162012-02-06T20:36:00.000-08:002012-02-07T03:54:33.284-08:00हमारी आकाश गंगा Our Solar Systemलेखक स्मिथ सोनियन And सेयमौर सिमोन द्वारा - आईये अपनी आकाश गंगा के बारे में कुछ जानकारी करें । हमारी आकाश गंगा अरबों तारों के साथ पैदा हुई है । जो आसमान हमारी नज़रों के आगे है । वहाँ 9 ग्रह तथा उनके इर्द गिर्द चाँद घूमते हैं । सबसे नजदीक का ग्रह बुध है । जो सूर्य से 58 मिलियन किमी दूर है । 88 दिन में यह सूर्य का 1 पूरा चक्कर लगाता है । इसके बाद शुक्र ग्रह आता है । यह ग्रह सूर्य से 108 मिलियन किमी kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-62060822550886468432012-01-05T06:17:00.000-08:002012-01-05T06:22:39.242-08:00पर वो कमबख्त किसी और से फँसी हैबंता - पत्नी को बेगम क्यों कहते हैं ?
संता - क्योंकि शादी के बाद सारे गम तो पति के हिस्से में आते हैं । और पत्नी बे गम हो जाती है ।
पप्पू लड़की से सेक्स करने को कहता है ।
लड़की - तुम इतने छोटे हो । मेरी जवानी का बोझ कैसे उठाओगे ?
पप्पू - मैं मानता हूँ । चूहा बोरी नहीं उठा सकता । पर फाड़ तो सकता है ।
वेलेन्टाइन-डे - वेलेन्टाइन-डे । 14 फरवरी । यानी प्रेमियों के मिलने का दिवस । और - बाल दिवस । 14 kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-6080004022148548992012-01-05T05:57:00.000-08:002012-01-05T06:24:15.871-08:00Why is Salman Khan disturbed these days ?लड़का प्रेमिका का चुम्बन लेने वाला था । तभी प्रेमिका ने उसे Centre - Fresh खिला दिया ।
इस पर लड़के ने प्रेमिका से सेक्स किया । और बोला - Centre - Fresh सिर्फ जबान पे लगाम लगाता है ।
सास बहू से - बहू मेरे पोते की सूरत मेरे बेटे से नहीं मिलती ? क्यों ।
बहू - सासु माँ ! मैं औरत हूँ । कोई जेराक्स मशीन नहीं ।
विभिन्न उमृ के अनुसार सेक्स स्थिति -
18 - पहला नशा । 18 से 30 - धूम मचा ले धूम । 30 से kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-16117964727029182322011-11-21T19:40:00.000-08:002011-11-21T19:40:51.851-08:00बृह्म रहस्य के चार महावाक्यकृष्ण यजुर्वेदीय उपनिषद ( शुकरहस्योपनिषद ) में महर्षि व्यास के आग्रह पर भगवान शिव उनके पुत्र शुकदेव को चार महावाक्यों का उपदेश " बृह्म रहस्य " के रूप में देते हैं । वे चार महावाक्य -
1 ॐ प्रज्ञानं बृह्म 2 ॐ अहं बृह्माऽस्मि 3 ॐ तत्त्वमसि और 4 ॐ अयमात्मा बृह्म हैं ।
1 ॐ प्रज्ञानं बृह्म - इस महा वाक्य का अर्थ है - प्रकट ज्ञान बृह्म है । वह ज्ञान स्वरूप बृह्म जानने योग्य है । और ज्ञान गम्यता से परे kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-43055870547738567982011-11-21T19:35:00.000-08:002011-11-21T19:35:24.930-08:00इसका ज्ञान मेरे लिए वास्तव में विचित्र हैविचित्र - व्याघ्रीव तिष्ठति जरा परितर्जयन्ती । रोगाश्च शत्रव इव परिहरन्ति देहम ।
आयुः परिस्रवति भिन्नघटादिवाम्भो । लोकस्तथाप्यहितमाचरतीति चित्रम ।
वृद्धावस्था बाघिन की तरह गुर्राती सी सामने खड़ी है । शत्रुओं की भांति रोग शरीर पर प्रहार किये जा रहे हैं । दरार वाले फूटे घड़े से चू रहे पानी की तरह आयु क्षरण हो रहा है । फिर भी यह संसार ( जनसमूह ) अहितकर कार्यों में संलग्न रहता है । इस तथ्य का ज्ञान kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-29618792821869596042011-11-21T19:31:00.000-08:002011-11-21T19:31:56.810-08:00यह विश्व दर्पण में दिखाई देने वाली नगरी के समान हैविश्वं दर्पणदृश्यमाननगरीतुल्यं निजान्तर्गतम । पश्यन्नात्मनि मायया बहिरिवोद्भूतं यदा निद्रया ।
यः साक्षात्कुरुते प्रबोधसमये स्वात्मानमेवाद्वयम । तस्मै श्रीगुरुमूर्तये नम इदं श्रीदक्षिणामूर्तये ।
यह विश्व । दर्पण में दिखाई देने वाली । नगरी के समान है ( अवास्तविक है ) स्वयं के भीतर है । मायावश । आत्मा ही । बाहर प्रकट हुआ सा । दिखता है । जैसे नींद में । अपने अन्दर देखा गया स्वपन । बाहर उत्पन्न kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-1511795334645844892011-11-21T19:27:00.000-08:002011-11-21T19:27:00.749-08:00वल्लभाचार्य कृत चतुःश्लोकीसर्वदा सर्वभावेन भजनीयो बृजाधिपः । स्वस्यायमेव धर्मो हि नान्यः क्वापि कदाचन ।
सभी समय । सब प्रकार से । बृज के राजा श्रीकृष्ण का ही स्मरण करना चाहिए । केवल यह ही धर्म है । इसके अतिरिक्त और कुछ भी नहीं ।
एवं सदा स्वकर्तव्यं स्वयमेव करिष्यति । प्रभुः सर्व समर्थो हि ततो निश्चिन्ततां बृजेत ।
इस प्रकार अपने कर्तव्यों का हमेशा पालन करते रहना चाहिए । प्रभु सर्व समर्थ हैं । इसको ध्यान रखते हुए निश्चिन्तता kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4627512868140171082.post-88158637238026960612011-07-26T19:47:00.000-07:002011-07-26T19:49:49.346-07:00हिन्दुस्तान में थूकने और मूतने की खूली छूट है ।सब्जी मन्डी की कसम । आज उस मास्टर का किस्सा खत्म कर ही देते हैं । मास्टर से अब मेरी बोलचाल न के बराबर है ।
लेकिन अभी भी मुझे कुछ छोटे छोटे अनुभव याद हैं ।
दिल्ली दर्शन के बाद, साल 2000 में जून महीने के पहले हफ़्ते में उस मास्टर ने फ़िर आकर कहा - त्रिपाठी जी ! क्या इरादा है । गर्मियों का मौसम है । सबकी छुट्टियाँ हैं । मैं आज तक अपने बच्चों को कभी " हिल स्टेशन " नही लेकर गया । इस बार " कुल्लू kumarhttp://www.blogger.com/profile/01755942057572610070noreply@blogger.com0