शनिवार, जून 25, 2011

मैं जवानी में अपने आपको " विनोद खन्ना " से कम नही समझता था ।

आशिक पुकारो । आवारा पुकारो । मैंने की है मुहब्ब्त दिल से । अब ना रूकेंगे हम किसी से । मैंने की है मुहब्ब्त दिल से ।
क्या हाल है पप्पू ? तुमने पिछ्ली बार मेरी पहली बार फ़ोटो छापकर मेरा दिल खुश कर दिया । आखिर मैं तेरा अंकल हूँ । असल में मैं जगत अंकल हूँ । मैं हूँ अंकल न. 1 ।
मैं आज तेरे को बडी दिलचस्प फ़ोटो भेज रहा हूँ । ये फ़ोटो खींचने में भी एक कहानी है । तू तो जानता ही है कि मैं भोपाल का रहने वाला हूँ । अरे मैं तो सूरमा भोपाली हूँ । मैं एक दिन बस अड्डे के पास वाले पुराने पुल के उपर से जा रहा था । मैं अपने स्कूटर पर था ।
तभी अचानक मेरे सामने जा रहे आटो वाले ने अचानक ब्रेक मार दी । मैं उसके बिल्कुल पीछे था । मुझे भी फ़टाफ़ट ब्रेक लगानी पडी । मैं गिरते गिरते बचा । मैं स्कूटर से उतरा । और सीधा जाकर उस साले आटो वाले के पिछ्वाडे पर लात मारी ।
आटो वाले ने मुझे कहा - क्या हो गया ?
मैंने सीधा ही एक चांटा उसको मारा । और कहा - तेरी ......"
तब वो आटो वाला बोला - ओये भाईसाहब......"
मैंने एक चांटा और मारा और कहा - तेरी ब......."
आटो वाला फ़िर बोला - बात सुन लो भाईसाहब ! गाली मत देना बता देता हूँ ।
( शायद उसके कहने का मतलब ये था कि बेशक चांटे लगा लो । लेकिन गाली मत देना । आटो ड्राइवर हूँ । तो क्या हुआ । आखिर मेरी भी तो कोई इज्जत है - हो हो हो हो हो हो )
इतने में साला कोई और बूढा वहाँ से जा रहा था । उसने रूककर कहा - हाँ भई क्या बात हो गयी ?
मेरा मूड पहले से ही खराब था । मैंने सीधा ही कहा - तू कौन है बे पूछने वाला ?
वो तो साला चुपचाप वहाँ से खिसक लिया ( साला महात्मा गांधी की औलाद )  इतने में आटो वाला भी भाग गया था ।

तब मैं भी स्कूटर उठाकर पुल से नीचे उतरा । मैं अपना मूड ठंडा करने के लिये रेहडी पर नींबू पानी पीने के लिये रूक गया । तभी मुझे दूर से 1 अजीब सा आदमी आता दिखा । मैंने उसकी फोटो खींच ली ।
बडी अजीब सी हँसी वाली फोटो है । जो देखेगा खुश हो जायेगा ।
अच्छा पप्पू ! मैंने पहले ठीक से ध्यान नहीं दिया । मैं पिछ्ले काफ़ी दिनो से ब्लाग ठीक से पढ नही पाया था । मैं किसी जरूरी काम में फ़ँसा हुआ था । अब अचानक 2 दिन पहले मैंने 1 तेरे लेख को देखा । तेरे को कोई खस्सी टायप आदमी कुछ पूछ रहा था । उसको शायद कुछ चाहिये था । कह रहा था कि फ़ूल चाहिये या गमला चाहिये ?
पप्पू डरना मत । तेरा अंकल विनोद त्रिपाठी सडक छाप गुन्डागर्दी का शेर है । जवानी में मैं 400 बैठक और 250 डन्ड लगा लेता था । अरे मध्य प्रदेश का हूँ । असली घी खाकर बडा हुआ हूँ । 
इन सालों की तरह नकली मिलावटी टमाटर सौस खाकर बडा नही हुआ । उसकी शक्ल देखकर तो लगता है कि वो खुद अपनी पतलून को ही सही नहीं कर पाता होगा ।
इधर मैं 50 साल के आसपास हूँ । फ़िर भी तेरी अभी भी 2 आन्टीया है । एक सरकारी और दूसरी गैर-सरकारी । तुम विश्वास नही करोगे । अभी भी मैं वैसे 6 चूहों पर अकेला भारी हूँ ।
मैं असली जिन्दगी में अकेला ही शक्ति कपूर । किरन कुमार और गुलशन ग्रोवर के बराबर हूँ । मैं अपने एरिया में अभी भी सडकछाप गुन्डागर्दी का त्रिदेव हूँ ।
अब कहूँ कि न कहूँ ......कसम सब्जी मन्डी की...... लेकिन आज कह ही देता हूँ । सुन ले पप्पु तेरा तो मैं अंकल हूँ । लेकिन मैं हर किसी का अंकल नही हूँ । मेरे पडोसी शर्मा जी की बेटी " लिजा " मेरे को एक दिन कहती ( जब मैं घर से बाहर खडा सिगरेट पी रहा था )  " अंकल टाइम क्या हुआ है ? "
तब मैंने कहा - धुत ! कौन अंकल । हम तो तुम्हारे फ़्रेन्ड है ।
हाय हाय पप्पु ! क्या करुँ । इलायची कूट के । लंगर लूट के । आजकल गर्मी बहुत है । कहीं दिल नहीं लगता । अब सुनो इस लेख के साथ ये नयी फोटो और साथ में मेरी वो वाली पुरानी फोटो भी.. ही ही ही छाप देना । यार फ़िर भी मेरे को इतना बुरा मत समझो । मैं जवानी में अपने आपको " विनोद खन्ना " से कम नही समझता था ।

********
प्रस्तुतकर्ता - श्री विनोद त्रिपाठी प्रोफ़ेसर । भोपाल । मध्यप्रदेश । ई मेल से ।
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...