बुधवार, जून 09, 2010
पत्नी ही सच्ची प्रियतमा
पत्नी से है सार्थक जीवन , पत्नी ही सच्ची प्रियतमा ।
पत्नी ही सुख दुख की साथी ,पत्नी ही बच्चन की अम्मा ।
पत्नी से ही घर चलता , साली तो खामख्याली है ।
ओ साली मानों चाय नाश्ता , तो पत्नी भोजन की थाली है ।
पत्नी ही दिलवर है वीरन , वो जानेमन है दिलवाली है ।
साली की बात करूँ का अब , " वो साली " तो आधी ही घरवाली है ।
पत्नी पत्नी पत्नी पत्नी , पत्नी के सम न दूजा है ।
सब तीरथ बेकार हैं वीरन , असली पूजा तो पत्नी पूजा है ।
पत्नी विना रसहीन है दुनियां , पत्नी से बगिया लहलहाती है ।
और बङे जतन करता है मानुष तब अच्छी पत्नी मिल पाती है ।
भौत जतन से मैंने वीरन अच्छी पत्नी पाई है ।
दीपक ले के दुनिंया देखी ,तब सुघङ लुगाई पाई है ।
पत्नी ही सुख दुख की साथी ,पत्नी ही बच्चन की अम्मा ।
पत्नी से ही घर चलता , साली तो खामख्याली है ।
ओ साली मानों चाय नाश्ता , तो पत्नी भोजन की थाली है ।
पत्नी ही दिलवर है वीरन , वो जानेमन है दिलवाली है ।
साली की बात करूँ का अब , " वो साली " तो आधी ही घरवाली है ।
पत्नी पत्नी पत्नी पत्नी , पत्नी के सम न दूजा है ।
सब तीरथ बेकार हैं वीरन , असली पूजा तो पत्नी पूजा है ।
पत्नी विना रसहीन है दुनियां , पत्नी से बगिया लहलहाती है ।
और बङे जतन करता है मानुष तब अच्छी पत्नी मिल पाती है ।
भौत जतन से मैंने वीरन अच्छी पत्नी पाई है ।
दीपक ले के दुनिंया देखी ,तब सुघङ लुगाई पाई है ।
खीर पुरी ओ मीठो कदुआ
मेरे पिया लि आओ चून ।
संग में धनिया मिच्चा नून ।
अभी मैं खाना बनाती हूँ ।
मेरे पिया...
खीर पुरी ओ मीठो कदुआ ।
दही बङा सूजी को हलुआ ।
चीनी लइओ करुआ के ददुआ ।
आज तर माल बनाती हूँ ।
मेरे पिया....
आलू गोभी की तरकारी ।
दाल बनाऊँ तङका वारी ।
बेंगन मैथी मटर ओ कल्ला ।
पालक सेम को सीजन चल्ला ।
भांति भांति की हो तरकारी ।
छोले नि की तो बात ई न्यारी ।
प्यार से तुम्हें खिलाती हूँ ।
मेरे पिया...
संग में धनिया मिच्चा नून ।
अभी मैं खाना बनाती हूँ ।
मेरे पिया...
खीर पुरी ओ मीठो कदुआ ।
दही बङा सूजी को हलुआ ।
चीनी लइओ करुआ के ददुआ ।
आज तर माल बनाती हूँ ।
मेरे पिया....
आलू गोभी की तरकारी ।
दाल बनाऊँ तङका वारी ।
बेंगन मैथी मटर ओ कल्ला ।
पालक सेम को सीजन चल्ला ।
भांति भांति की हो तरकारी ।
छोले नि की तो बात ई न्यारी ।
प्यार से तुम्हें खिलाती हूँ ।
मेरे पिया...
हाथ जोर विनती करूँ
हाथ जोर विनती करूँ मैं तो गुरु महाराज ।
लाज राखियो दास की पूरन करियो काज ।
पूरन करियो काज जगत में बङो झमेला ।
तुम बिन कोई न साथी गुरुजी मानुष फ़िरे अकेला ।
जडमति बन्दा और भव फ़न्दा ।
माया की भूलभुलैया ।
तुम बिन कोई न दीखे गुरुवर ।
मेरी नाव खिवैया ।
बार बार परनाम करूँ गुरु आसिरवाद जि दीजों ।
सबे बिसारूँ गुरु न भूलूँ ऐसी किरपा कीजो ।
लाज राखियो दास की पूरन करियो काज ।
पूरन करियो काज जगत में बङो झमेला ।
तुम बिन कोई न साथी गुरुजी मानुष फ़िरे अकेला ।
जडमति बन्दा और भव फ़न्दा ।
माया की भूलभुलैया ।
तुम बिन कोई न दीखे गुरुवर ।
मेरी नाव खिवैया ।
बार बार परनाम करूँ गुरु आसिरवाद जि दीजों ।
सबे बिसारूँ गुरु न भूलूँ ऐसी किरपा कीजो ।
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