सोमवार, फ़रवरी 06, 2012

हमारी आकाश गंगा Our Solar System

लेखक स्मिथ सोनियन And सेयमौर सिमोन द्वारा - आईये अपनी आकाश गंगा के बारे में कुछ जानकारी करें । हमारी आकाश गंगा अरबों तारों के साथ पैदा हुई है । जो आसमान हमारी नज़रों के आगे है । वहाँ 9 ग्रह तथा उनके इर्द गिर्द चाँद घूमते हैं । सबसे नजदीक का ग्रह बुध है । जो सूर्य से 58 मिलियन किमी दूर है । 88 दिन में यह सूर्य का 1 पूरा चक्कर लगाता है । इसके बाद शुक्र ग्रह आता है । यह ग्रह सूर्य से 108 मिलियन किमी दूर है । और 224.7 दिनों में सूर्य का चक्कर लगाता है । शुक्र ग्रह में कार्बन डाई आक्साइड और नाइट्रोजन गैसें हैं । पृथ्वी की दूरी सूर्य से 108 मिलियन किमी है । और यह सूर्य का चक्कर 365.24 दिनों में लगाती है । 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकिंड में ( दिन रात ) अपनी धुरी पर घूम जाती है । वातावरण में नाइट्रोजन और 


आक्सीजन गैसें विद्यमान है । पृथ्वी का 1 चाँद भी है । जो 24 घंटे में पृथ्वी का 1 चक्कर लगाता है । इसके बाद का गृह है - मंगल ( लाल ) मंगल ग्रह सूर्य से 228 मिलियन किमी दूर है । और 687 दिनों में सूर्य का 1 चक्कर पूरा करता है । मंगल अपनी धुरी पर 24 घंटे 37 मिनट और 23 सेकिंड में घूम जाती है । इस ग्रह में कार्बन डाई आक्साइड नाइट्रोजन गैसें हैं । मंगल ग्रह के अपने 2 चाँद हैं । सारे ग्रह छोटे हैं । और सूर्य के काफी नजदीक हैं । 1950 में मंगल ग्रह की चर्चा जोरों पर थी । मंगल ग्रह पृथ्वी के बाद पूरे यूनीवर्स में ऐसा 1 ही ग्रह है । जहाँ जीवन संभव है । एक विज्ञान की पाठय पुस्तक में कहा गया - वहाँ बड़ी बड़ी नहरें हैं । वनस्पति होने से बहुत हरियाली है । यहाँ तक चर्चा थी - मंगल ग्रह से समय समय पर । धरती के लोगों से संपर्क करने के लिए ।  उड़न तश्तरियाँ पृथ्वी ग्रह पर आती हैं । धरती की खुशहाली और विज्ञान के क्षेत्र में पृथ्वी के बढ़ते हुए कदमों की समीक्षा करने के लिये आते हैं । अखबारों में मंगल संबंधी खबरें अक्सर छपती थी । 9 ग्रहों में इसका रंग लाल होने की वजह से यह अलग ही दिखाई देता है । ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यह बहुत तेज और गुस्से वाला ग्रह है ।
इसके अलावा जो ग्रह सूर्य से भी और पृथ्वी से भी दूर हैं । उनमें सबसे बड़ा ग्रह है वृहस्पति ( जुपिटर ) वृहस्पति ग्रह सूर्य से 778 मिलियन किमी दूर है । 11.86 साल में यह सूर्य का 1 चक्कर लगाता है । 9 घंटे 55 मिनट और 18 सेकिंड में अपनी धुरी पर पूरा घूम जाता है । इसकी परिधि में हाइड्रोजन और हीलियम गैसें हैं । अपनी तरफ खींचने की शक्ति ( सर्फेस ग्रेविटी ) पृथ्वी की 1 है । और वृहस्पति ग्रह की 2.14 है । इसके 63 चंद्रमा हैं । तथा 1 रिंग है ।


शनि ग्रह ( सैटर्न  ) शनि सूर्य से 1427 मिलियन किमी दूर है । 29.4 साल में सूर्य का 1 पूरा चक्कर लगाता है । 10 घंटे 39 मिनट और 22 सेकिंड में अपनी धुरी पर पूरा घूम जाता है । इस ग्रह पर भी हाइड्रोजन और हीलियम गैसें हैं । सर्फेस ग्रेविटी 0.74 है । इसके 56 चंद्रमा हैं । और 1000 से ज्यादा रिंग हैं ।
युरेनस - सूर्य से 2871 मिलियन किमी दूर है । 84 साल में सूर्य का 1 चक्कर लगा पाता है । इसमें हीलियम हाइड्रोजन मिथाइन गैसें पायी जाती हैं । इसकी सर्फेस ग्रेविटी 0.96 है । इसके 27 चंद्रमा हैं । और 11 रिंग हैं ।
नेपच्यून - यह ग्रह सूर्य से 4498 मिलियन किमी दूर है । 164.79 सालों में यह सूर्य का 1 चक्कर लगाता है । 16

घंटे 6 मिनट और 36 सेकिंड में अपनी धुरी पर पूरा घूम जाता है । इसमें भी वही गैसें पायी जाती हैं । जो युरेनस में पायी जाती हैं । इसकी सर्फेस ग्रेविटी 1.10 है । इसके 13 चंद्रमा हैं । और 5 रिंग हैं  । इकुटोरियल डायमीटर । मीलों में - बुध का 3032 । शुक्र का 7520 । पृथ्वी का 7926.4 ।  मंगल का 4222 । वृहस्पति का 88846 । शनि का - 74892 । युरेनस का - 31764 । नेपच्यून का - 30776 ।
मिल्की वे गैलेक्सी - हमारा सोलर सिस्टम अरबों टिमटिमाते तारों के साथ पैदा हुआ था । 4.6 अरब साल पहले । वातावरण में धूल का बादल । और हाइड्रोजन गैस ने मिलकर । इस आकाश गंगा की रचना की । धूल के बादलों । और हाइड्रोजन गैस के दबाव में । ये छोटे छोटे कण ज्यादा दबते गए । और गर्म होते गए । उससे न्यूक्लियर विस्फोट हुआ । और ऊर्जा प्रज्वलित हुई । वही चमकता हुआ प्रकाशित सूर्य का उदय काल था । बाकी के बिखरे टुकड़े आकाश गंगा में बिचरने लगे । वही आगे चलकर ग्रह चाँद बनकर सूर्य का चक्कर लगाने लगे । अरबों खरबों चाँद और तारों के साथ नीला आकाश । अनंत विशाल लाखों करोड़ों आकाश गंगा के साथ । कुदरत की मनुष्य को 1 अनुपम भेंट मिली । इसकी खोज में इसकी कितनी पीढियां अन्तरिक्ष में समा गयी । और खोज अभी भी जारी है । रोज विज्ञान के नए चमत्कार देखने और सुनने को मिल रहे हैं । लेकिन रहस्य अभी भी रहस्य ही बना हुआ है ।
सूर्य - हमारी आकाश गंगा की तरह इस बृह्माण्ड में करोड़ों आकाश गंगाएं हैं ! सूर्य की ही तरह पूरे यूनिवर्स में 200

अरब चमकते तारे हैं । और उनकी रोशनी इस धरती पर आते आते करोड़ों साल लग जाते हैं । श्रीकृष्ण ने गीता के 11 वें अध्याय में अर्जुन को अपना विराट रूप दिखाते समय इन अनंत बृह्माडों का जिक्र किया है । उन्होंने अपने को सूर्य से भी पहले का बताया । और इस पूरे बृह्माण्ड का रचनाकार अपने को  - हे अर्जुन ! जिस सीमा के अंदर तुम रहते हो । ये केवल 1 ही सूर्य द्वारा प्रकाशित आकाश गंगा है । और हर आकाश गंगा को नियंत्रित करने के लिए मेरी शक्तियां - बृह्मा । विष्णु और महेश हैं । इस तरह पूरे यूनिवर्स में इस तरह की 200 अरब आकाश गंगाएं हैं । और हे अर्जुन ! मैं ही इन सारे आकाश गंगाओं को नियंत्रित करता हूँ ।
हमारी धरती का 1 सूर्य है । सूर्य धरती से बहुत विशाल है । करीब 13 लाख प्रथ्वी के बराबर है सूर्य ।  सूर्य का ईधन है - हाइड्रोजन गैस । यह 1 सेकिंड में करीब 40 लाख टन हाइड्रोजन गैस का इस्तेमाल करता है । वैज्ञानिकों का मानना है । इतनी ज्यादा हाइड्रोजन कंज्यूम करने के बाद भी सूर्य के पास अभी 5-6 अरब सालों तक के लिए हाइड्रोजन बाकी है । सूर्य धरती के जीव जंतु । पशु पक्षी । और पेड़ पौधों के लिए जीवन दायिनी औषधि है । इससे प्राणी मात्र को ऊर्जा मिलती है । पेड़ पौधों को बढ़ने में मदद मिलती है । समुद्र से भाप के बादल बनाकर वारिश भी सूर्य के ताप का ही कमाल है । इसके बिना धरती पर जीवन संभव नहीं है । सूर्य का केंद्र वृहस्पति ग्रह के 


बराबर है । जिसका तापमान 27 000 000 डिग्री फायरन हाईट है । सूर्य के भीतरी भाग को क्रोमोस्फयर । और बाहरी भाग को कोरोना कहते हैं । जब पूरा सूर्य ग्रहण होता है । तो भीतरी भाग ढक जाता है । लेकिन कोरोना सूर्य के किनारे किनारे नजर आता है ।
बुध - बुध ग्रह का नाम रोम वालों ने तेज भागने वाला सन्देश पहुंचाने वाला ( हरकारा ) रखा । बुध ग्रह सूर्य का चक्कर तो बहुत जल्दी लगाता है । लेकिन अपने धुरी पर घूमने में 58.6 दिन लगाता है । इसका आकार पृश्वी से तो छोटा है ही । वृहस्पति और शनि ग्रह के सबसे बड़े चाँद से भी छोटा है । इसका अपना कोई चाँद नहीं है । यह वैसे दिखाई नहीं देता । लेकिन सुबह और शाम जब सूर्य उदय हो रहा हो । या पश्चिम दिशा में अस्त हो रहा हो । तब बुध ग्रह दिखाई दे सकता है । टेलीस्कोप से यह दिखाई देता है । और धरती के चाँद की तरह यह रोज अपनी आकृति बदलता रहता है । चाँद की तरह इसके धरातल में बहुत से क्रेटर्स हैं । यह एयरलेस प्लेनेट है । दिन के समय इसका टेम्प्रेचर 750 डिग्री ( एफ ) होता है । जो लोहे को गला सकता है । लेकिन रात को - 300 तक चला जाता है । इतना ठंडा । जितना पृथ्वी के साउथ पोल  ।
शुक्र ग्रह - पृथ्वी के बराबर होने से इसे प्रथ्वी की बहन भी कहा जाता है । रोम में इसे सुन्दरता की देवी कहा जाता है । चाँद के बाद यह सबसे चमकीला ग्रह है । और सुबह शाम नजर आता है । इसमें सल्फ़्युरिक एसिड और कार्बन डाई आक्साइड गैसें हैं । 900 डिग्री तक टेम्प्रेचर है । 11 oct  1994 में स्पेस क्राफ्ट के द्वारा इस ग्रह की पूरी जानकारी ली गयी  ।


पृथ्वी - इसे ओसियन या वाटर का नाम भी दिया गया है । यह आकाश गंगा में एक मात्र ऐसा ग्रह है । जिसमें 3 हिस्सा पानी 75% । और 1 हिस्सा 25% मिट्टी कंकण पत्थर है । स्पेस से अपोलो 15 द्वारा पृथ्वी की तस्वीर ली गयी थी ।
जब सूर्य इसके नजदीक आता है । तो समुद्र का पानी उबलने लगता है । जब दूर होता है । तो पानी जमने लगता है । गर्मियों में पृथ्वी का उतरी भाग में दिन बड़े । और मौसम गर्मी का होता है । लेकिन दक्षिणी भाग ( साउथ पोल ) में दिन छोटे । और सरदी का मौसम रहता । फिर अगले 6 महीने इसके बिपरीत होता है । पृथ्वी का वातावरण को संतुलित करने के लिए यहाँ नाइट्रोजन और आक्सीजन । तथा छोटी सी मात्रा में कार्बन डाई आक्साइड गैंसे हैं ।
चाँद के बाद पृथ्वी पर सबसे चमकीला ग्रह शुक्र है । रोम में शुक्र ग्रह को प्रेम की देवी कहा जाता है ( गाडेज आफ लव एंड ब्यूटी )  इसे सुबह और शाम का तारा कहा जाता है । लेकिन वास्तव में यह स्टार नहीं है । बल्कि 1 गृह है ( प्लेनेट ) कुछ लोग शुक्र ग्रह को पृथ्वी की बहन बताते हैं । क्योंकि इन दोनों का साइज बराबर है । यह सबसे गर्म ग्रह है । इसका टेम्प्रेचर 900 डिग्री ( एफ ) । इसमें पानी की मात्रा काफी कम है ।
मंगल - यह सूर्य का चौथा ग्रह है । यह धरती के नजदीक होने से ज्यादा चमकीला लालिमा लिए हुए है । रोमन इसे लड़ाई का देवता कहते हैं । 1970 में पहली बार मानव रहित स्पेस क्राफ्ट पृथ्वी से मंगल ग्रह के नजदीक भेजा गया । इसके द्वारा भेजी गयी तस्वीरों से ऐसा लगता है कि मार्स ( मंगल ) के दोनों पोल बर्फ से ढके हैं ।


वृहस्पति - ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह । यह गैस प्लेनेट है । जो हाइड्रोजन और हीलियम गैसों से बना है । वृहस्पति ग्रह बादलों से ढका रहता है । लेकिन पृथ्वी की तरह इन बादलों में यहाँ पानी नहीं है । इसमें बड़ा लाल स्पाट है । जो पृथ्वी से 3 गुना बड़ा है । इसे 300 साल पहले इंसान ने टेलीस्कोप से इसे देखा था । समय के साथ यह बढ़ता है । घटता है । कभी पिंक । कभी प्रकाशवान होता है । लेकिन यह स्पाट अपनी जगह नहीं बदलता । सदियों से ओवल शेप में है । 1996 में यह पता लगा कि वृहस्पति रिंग से घिरा हुआ प्लेनेट है । शनि । युरेनस और नेपच्यून के भी रिंग हैं । वृहस्पति ग्रह का केंद्र बहुत गर्म है । इसके 16 बड़े और 47 छोटे चंद्रमा हैं । 4 बड़े चाँद का नाम है - यूरोपा । गनिमेडे । ऐओ और कालिस्तो । इन्हें गेली लियन मून कहा जाता है । क्योंकि गैलिलियो ने 1610 में इनकी खोज की थी ।
शनि - वृहस्पति के बाद सबसे बड़ा ग्रह । पृथ्वी जैसे 750 प्लेनेट इसमें समा सकते हैं । इसे रोमन गाड आफ फार्मिंग कहते हैं । 400 साल पहले गैलीलियो ने हल्के पावर के टेलीस्कोप से इसे देखा था । 50 साल बाद बड़े टेलीस्कोप से अन्तरिक्ष यात्री ने देखा कि शनि 2 ग्लोब्स और 1 फ्लेट रिंग से घिरा हुआ है । यह रिंग ऐसा लगता है कि हजारों पतले पतले रिंगों से जुड़ा हुआ है । यह रिंग 17000 मील के घेरे पर होते हुए 3 मील से कम मोटाई वाली है । इसका 1 बड़ा मून । तथा 6 छोटे मून हैं । ये सारे 


बर्फ से ढके हुए हैं ।
यूरेनस - इस ग्रह का पता 1781 में विलियम हर्चेल ने अपने टेलीस्कोप से लगाया । इसका नाम ग्रीक गाड आफ हैवन और रूलर आफ वर्ड रखा गया । इसका रिंग है । यह पृथ्वी से 50 गुना बड़ा है । इसके 5 बड़े और 22 छोटे चन्द्रमा हैं । इसका रिंग 17 पतले पतले रिंगों से जुड़ा हुआ है ।
नेपच्यून - यह ग्रह धरती से बहुत दूर है । इसका पता भी गैलीलियो ने किया था । यह भी रिंग से लिपटा गैस वाला ग्रह है । यहाँ पर आंधी तूफ़ान हर समय आता रहता है । यह नीला दिखाई देता है । 25 aug 1989 में इस ग्रह से वोयागर 2 स्पेस क्राफ्ट से इसके बारे में काफी जानकारी हासिल की गयी । इसके 2 बङे और 11 छोटे चाँद हैं । इसकी सतह में बर्फ जमी होने का अनुमान है । इसके बाद सबसे छोटा ग्रह प्लूटो । जिसकी खोज 1930 में की गयी । इसका 1 बड़ा मून भी देखा गया । जिसका पता 1978 में चला । प्लूटो का चाँद 6 दिन में इसका 1 पूरा चक्कर लगाता है । यह है । हमारी आकाश गंगा 1 युनीवर्स गैलेक्सी ।

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