शनिवार, अप्रैल 21, 2012

नोम्मो

अफ्रीका में मिलने वाले कई अन्य कबीलों की तरह माली देश में रहने वाले कबीले डोगोन का इतिहास भी तमाम तरह के चौका देने वाले अदभुत किस्सों से भरा पड़ा है । 13वीं से 16वीं शताब्दी के मध्य यह कबीला बंदियागारा पठार पर कभी आकर बस गया था । जो टिम्बकटू से 300 मील दूर दक्षिण में स्थित है ।
आज भी यह लोग सूखी घास और मिट्टी आदि से बनाये गए झोपड़ों में ही रहते हैं । कई शताब्दियाँ बीत जाने के बाद भी इन लोगों के रहन सहन आदि में कोई बदलाव नहीं आया है । और आधुनिकता के नाम तक से यह अपरिचित ही है । यह जरूर है कि आधुनिक सुख सुविधाओं से वंचित रहने के बावजूद भी यह अपने जीवन से बेहद खुश हैं ।
कबीले की मान्यता ने इन्हें पूरी दुनिया में कौतूहल का पात्र बना दिया । इसलिये कई पश्चिमी देशों से लोग यहाँ आए । और उन्होंने इस कबीले के रहस्यों को जानने का प्रयास किया ।

इस कबीले का मानना है कि बाहरी दुनियाँ से आए लोगों यानी पर ग्रह वासियों ने ही इन्हें बोलना तथा रहने की तरीका बतलाया था । इस कबीले के लोग कहते हैं कि - दूर स्थित 1 तारे साइरियस ( जो पृथ्वी से 8.7 प्रकाश वर्ष दूर है ) से ही ये लोग यानी इन्हें बोलना आदि सिखाने वाले आये थे ।
आश्चर्य की बात है कि खगोल विज्ञान से जुड़ी तमाम ऐसी बातें इन कबीले वालों को पता है । वह भी सैकड़ों वर्षों पहले से ही । जो आधुनिक दूरबीन आदि यंत्रों के बिना जान पाना संभव ही नहीं है । ये लोग जानते हैं कि - साइरियस का सहयोगी तारा भी है । जो नंगी आंखों से नहीं दिखता ।
जबकि 1920 के आसपास ही पश्चिम के खगोलविद इस तारे को देख पाये थे । और 1970 में ही इस तारे । जिसे साइरियस - B कहा गया । की तस्वीर खींची जा सकी ।
डोगोन कबीले से जुड़े हर मिथक में ऐसे पर ग्रह वासियों का उल्लेख है । और जो चित्र आदि इन्होंने गुफाओं में बनाये हैं । वे भी ऐसे मिथकों की ओर ही इशारा करते हैं । यहाँ की महिलाओं ने चादरों तक पर ऐसी ही कढ़ाई कर रखी है । आज भी लोग नहीं समझ पाते कि - आखिर इन लोगों को ऐसे तारे के बारे में सैकड़ों वर्ष पहले कैसे पता चल गया । जिसके बारे में 1920 के आसपास ही पता चल पाया था ।
सन 1931 में फ्रांस के 2 मानव विज्ञानियों मार्से ग्रियाऊल तथा जर्मेन डाइटर लेन ने यहाँ आने की सोची । ताकि 


डोगोन कबीले से जुड़े रहस्य को उजागर किया जा सके । दोनों 21 वर्ष तक इस कबीले के साथ रहे । और 1946 में यहाँ के पुजारियों ने मार्से को यहाँ के रहस्य बनाने के लिए आमंत्रित किया । मार्से ने पाया कि सारे कर्म काण्ड काफी पेचीदा हैं । तथा सभी के केन्द्र में उभयचर प्राणी है ।
जिसे यहाँ के लोग कहते हैं - नोमो या नोम्मो । नोम्मो को ही पर ग्रह से आया बताया जाता था । बाद में मार्से को भी इस कबीले ने पुजारी जैसी ही इज्जत दी । लेकिन 1956 में जब मार्से का देहान्त हुआ । तब 5 लाख कबीले वालों ने उनके जनाजे में शिरकत की ।
1950 में इन दोनों मानव विज्ञानियों - मार्से तथा जर्मेन ने जो पता लगाया था । उसे प्रकाशित किया गया । मार्से की मृत्यु के बाद जर्मेन पेरिस आ गयी । दोनों लोगों ने जो कुछ लिखा । उससे यह स्पष्ट हो गया कि इस कबीले को खगोल शास्त्र का अदभुत ज्ञान था । और ये लोग ज्योतिष भी जानते थे । इनका मानना था कि तारे साइरियस के आसपास अन्य तारे चक्कर लगाते हैं । साइरियस - B को इन्होंने नाम दिया है - पो  टोलो । जो भारी दृव्य से बना है । व 50 वर्ष में साइरियस का चक्कर लगाता है ।
बाद में आधुनिक खगोलविदों द्वारा यह बातें सत्य पायी गयी । बिना किसी दूरबीन आदि के डोगोन कबीले ने कैसे यह सब पता कर लिया ?
एक अन्य शोधकर्ता राबर्ट टेम्पल भी डोगोन कबीले की आ॓र आर्किषत हुए । राबर्ट ने जर्मेन से भी बात की ।

और राबर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि - डोगोन कबीला साइरियस - B ही नहीं । सौरमण्डल के कई अन्य रहस्यों को भी जानता था । यहाँ के लोग कहते थे कि - चंद्रमा मरे हुए खून की तरह सूखा व मृत है ।
जब इन्होंने शनि ग्रह का चित्र बनाया । तो उसके आसपास वलय ( रिग ) भी बनाया । इन्हें यह भी पता था कि ग्रह सूर्य के चारों आ॓र चक्कर लगाते हैं । यह जूपिटर के 4 बड़े चंद्रमाओं के बारे में जानते थे । जिन्हें गैलेलियो ने देखा था ।
आश्चर्य की बात है कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है । तथा आकाश में असंख्य तारे हैं । इसका ज्ञान भी इन्हें था । यह सभी कुछ इन्होंने कुछ चित्रों व कथाओं के रूप में संजोकर रखा है ।
यहाँ के पुजारियों का कहना है कि साइरियस सिस्टम के किसी ग्रह से लोग यहाँ आये थे । और उन्होंने ही सारी बातें इन्हें बतायीं । यह कहते हैं कि - नोम्मो 1 अंतरिक्ष यान में बैठ कर यहाँ आया था । वह यान के उतरने की आवाज भी बताते हैं । इनका कहना है कि - जब यान यहाँ उतरा । तो काफी धूल उड़ी ।
आज तक यह पता नहीं चल पाया कि - कैसे यहाँ के लोगों को ग्रहों आदि का इतना सटीक ज्ञान मिला । और क्या सचमुच पर ग्रह वासी यहाँ आये थे ? मामला जो भी हो । आज तक इस रहस्य को सुलझाया नहीं जा सका है ।

कोई टिप्पणी नहीं:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...