बुधवार, जून 09, 2010

पत्नी ही सच्ची प्रियतमा

पत्नी से है सार्थक जीवन , पत्नी ही सच्ची प्रियतमा ।
पत्नी ही सुख दुख की साथी ,पत्नी ही बच्चन की अम्मा ।
पत्नी से ही घर चलता , साली तो खामख्याली है ।
ओ साली मानों चाय नाश्ता , तो पत्नी भोजन की थाली है ।
पत्नी ही दिलवर है वीरन , वो जानेमन है दिलवाली है ।
साली की बात करूँ का अब , " वो साली " तो आधी ही घरवाली है ।
पत्नी पत्नी पत्नी पत्नी , पत्नी के सम न दूजा है ।
सब तीरथ बेकार हैं वीरन , असली पूजा तो पत्नी पूजा है ।
पत्नी विना रसहीन है दुनियां , पत्नी से बगिया लहलहाती है ।
और बङे जतन करता है मानुष तब अच्छी पत्नी मिल पाती है ।
भौत जतन से मैंने वीरन अच्छी पत्नी पाई है ।
दीपक ले के दुनिंया देखी ,तब सुघङ लुगाई पाई है ।

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