बुधवार, जून 09, 2010

हाथ जोर विनती करूँ

हाथ जोर विनती करूँ मैं तो गुरु महाराज ।
लाज राखियो दास की पूरन करियो काज
पूरन करियो काज जगत में बङो झमेला ।
तुम बिन कोई न साथी गुरुजी मानुष फ़िरे अकेला ।
जडमति बन्दा और भव फ़न्दा ।
माया की भूलभुलैया ।
तुम बिन कोई न दीखे गुरुवर ।
मेरी नाव खिवैया ।
बार बार परनाम करूँ गुरु आसिरवाद जि दीजों ।
सबे बिसारूँ गुरु न भूलूँ ऐसी किरपा कीजो ।

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