शुक्रवार, जून 01, 2012

21 दिसम्बर 2012

काफी समय से चर्चा में नीबीरू को planet X भी कहा जाता है । भारत में भी विशेषकर निजी टेलीविजन चैनल उसका खूब ढोल पीट रहे हैं । कहते हैं कि 21 DEC 2012 को महा प्रलय आने वाला है । दुनिया नष्ट होने वाली है । माया सभ्यता के लोग इसकी भविष्यवाणी कर गये हैं । उनका कैलेंडर इसी तारीख के साथ समाप्त हो जाता है ।
तथ्य यह है कि अमेरिकी महाद्वीप पर माया सभ्यता स्वयं भी कब की लुप्त हो चुकी है । उसके कैलेंडर के अंत को विश्व का अंत भला क्यों मान लिया जाए ? तथ्य यह भी है कि महा प्रलय और विश्व के अंत की भविष्यवाणियाँ पहले भी अनेक हो चुकी हैं । पृथ्वी 4 अरब वर्षों से अपनी जगह पर है । न प्रलय आया । और न विश्व नष्ट हुआ । यह सब समय समय पर सनसनी और आतंक फैलाकर पैसा बनाने वालों की कारस्तानी है ।
अमेरिकी अंतरिक्ष अधिकरण NASA के वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक डेविड मॉरिसन कहते हैं - नीबीरू नाम के किसी ग्रह का कहीं कोई अस्तित्व ही नहीं है ।
वे कहते हैं - सबसे सीधी बात यह है कि नीबीरू का कोई अस्तित्व ही नहीं है । यह पूछने के बदले कि उसके बारे में इतना शोर पैदा कैसे हुआ । खगोलविदों से यह पूछें कि - वे क्या जानते हैं ? नीबीरू या  planet  X जैसी कोई चीज DEC 2012 में यदि सौर मंडल के भीतर आने वाली होती । तो दुनिया भर के पेशेवर और शौकिया खगोलविद दशकों से उस पर नजर रखे रहे होते । अब तक तो वह नंगी आँखों से भी दिखने लगा होता । लेकिन उसका कोई अता पता नहीं है ।
नीबीरू मूल रूप में अमेरिका के विस्कॉन्सिन में रहने वाली नैन्सी लीडर नाम की 1 महिला के दिमाग की उपज है । उसका कहना है कि उसके मस्तिष्क में 1 प्रतिरोपण है । जिसके जरिये वह जेटा रेटीकुली नाम की 1 ग्रह प्रणाली के लोगों के साथ संपर्क में रहती है । 1995 में जेटा रेटीकुली वालों ने उसे मनुष्य जाति को आगाह करने के लिए कहा - MAY 2003 में 1 विशाल पिंड सौर मंडल में से गुजरेगा । वह पृथ्वी के ध्रुवों को इस तरह बदल देगा कि मानव जाति का लगभग अंत हो जाएगा । नैन्सी लीडर ने 1995 में जेटा टॉक्स नाम से 1 इंटरनेट वेबसाइट बनाई । और अपने कपोल कल्पित प्रलय का प्रचार करने लगी ।
2003 में कुछ नहीं हुआ । कहा गया कि 2010 के आस पास जरूर प्रलय आएगा । अब 2010 भी डयोढ़ी पर खड़ा है । नीबीरू का कहीं नाम निशान नहीं है । इसलिए माया सभ्यता के कैलेंडर की आड़ लेकर 21 DEC 2012 को 
नया प्रलय दिवस घोषित कर दिया गया है । नीबीरू के आने के साथ यह भी जोड़ दिया गया है कि हमारा सूर्य आकाश गंगा के मध्य में सरक कर कई आकाशीय पिंडों की सीध में आ जाएगा । जो कि हमारे लिए महा अनिष्टकारी होगा ।
NASA के डेविड मॉरिसन इस डर को भी निराधार बताते हैं - पृथ्वी पर से देखने पर सूर्य हर साल DEC में आकाश गंगा के बीच की ओर जाता दिखता है । लेकिन इसका कोई मतलब नहीं है । यदि आपको DEC 2009 को लेकर कोई चिंता नहीं है, तो DEC 2012 को लेकर भी कोई चिंता नहीं करें ।
अंतरिक्ष पर चौतरफा नजर रखना अमेरिकी अंतरिक्ष अधिकरण NASA का 1 प्रमुख काम है । उसके रिसर्च सेंटर की ओर से डेविड मॉरिस ने 1 वीडियो संदेश में प्रलय की सारी संभावनाओं का खंडन करते हुए कहा - कई आकाशीय पिंडों का 1 सीध में आना भी कोई अनहोनी बात नहीं है । यह जिज्ञासा का विषय हो सकता है । लेकिन किसी सच्ची वैज्ञानिक दिलचस्पी का विषय नहीं है ।
उनका कहना है - पृथ्वी के ध्रुवों को लेकर भी चिंता फैलाई जा रही है कि वे बदल जाएँगे । पर कोई नहीं कहता कि यह होगा कैसे ? यदि बात पृथ्वी की घूर्णन धुरी वाले ध्रुवों की है । तो ऐसा कोई परिवर्तन न तो कभी हुआ है । और न होगा । हाँ पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुव जरूर हर कुछ लाख वर्षों पर अपनी जगह बदल देते हैं । लेकिन उसके भी 2012 में होने के कोई प्रमाण नहीं हैं । और न उससे कोई नुकसान हो सकता है । कुछ लोग इसके साथ सौर सक्रियता और सौर ज्वालाओं के बढ़ जाने को जोड़ कर देखते हैं । सौर सक्रियता का चक्र हर 11 वर्ष पर अपने चरम पर होता है । कभी कभी उससे पृथ्वी पर कुछ नुकसान भी होता है । पर कोई सच्चा नुकसान नहीं होता । अगली अधिकतम सौर सक्रियता 2013 में आने वाली है । न कि 2012 में । और वह भी अब तक के औसत से कम उग्र होगी ।
यानी 2012 का सारा हौवा बकवास है । झूठ है । अपने 1 वक्तव्य में NASA ने कहा - इस समय 1 ही लघु ग्रह है - एरिस । जो सौर मंडल की बाहरी सीमा के पास की कुइपियर बेल्ट में पड़ता है । और आज से 147 साल बाद 2257 में पृथ्वी के कुछ निकट आएगा । तब भी उससे 6 अरब 40 करोड़ किमी दूर से निकल जाएगा । कोई प्रलय नहीं आ रहा है । 2012 जैसी चाहे जितनी फिल्में बनें ।
दावा करने वालों की कमी नहीं है कि माया सभ्यता के कैलेण्डर के हिसाब से 2012 में दुनिया के अंत होने वाला है । लेकिन ऐसी भविष्यवाणी करने वालों के लिए बुरी ख़बर है । विशेषज्ञों का कहना है कि माया सभ्यता के लोगों के अंत की घोषणा नहीं की थी । जिस माया शिला लेख पर 2012 का ज़िक्र है । उस शिला लेख के 1 नए अध्ययन से पता चलता है कि माया लोगों ने 2012 में पृथ्वी के अंत की नहीं । अपने कैलेंडर के हिसाब से 1 युग के अंत की बात की थी ।
दक्षिण में रहने वाले माया समुदाय ने 21 DEC 2012 के लिए उल्टी गिनती शुरू कर दी है । उस दिन माया सभ्यता के प्राचीन पंचांग के अनुसार 5वी सहस्राब्दी समाप्त होगी । कुछ लोगों ने माया पंचांग के युगांत को दुनिया के समाप्त होने की भविष्यवाणी मानते हैं । लेकिन जानकारों का कहना है कि ये 1 युग का अंत भर है । दुनिया का नहीं । माया समुदाय के पुजारियों ने उल्टी गिनती के शुरू करते हुए विशेष धार्मिक कर्मकांड किए हैं ।
मैक्सिको के दक्षिण में रहने वाले माया समुदाय ने 21 DEC 2012 के लिए उल्टी गिनती शुरू कर दी है ।
ऐसा लगता है कि 2012 दुनिया का आखिरी साल नहीं होगा । जिस माया सभ्यता के कैलेंडर की दुहाई देकर इस वर्ष दुनिया का अंत होने की भविष्यवाणियां की जा रही थीं । उसी के बनाए 1 कैलेंडर ने इन आशंकाओं पर विराम लगा दिया है । ग्वाटेमाला के जंगलों में मिले माया कैलेंडर के अब तक के सबसे पुराने संस्करण से साफ है कि अगले कई अरब वर्षो तक पृथ्वी बनी रहेगी ।
मध्य अमेरिका की प्राचीन माया सभ्यता की भविष्यवाणी के अनुसार अब तक माना जाता था कि उनके प्राचीन शिला लेखों में 2012 में दुनिया के अंत की भविष्यवाणी की गई है । जिसे अब वैज्ञानिकों ने उस प्राचीन लिपि को गलत पढ़ना माना है । उनका कहना है कि माया सभ्यता के निर्माण और युद्घ के देवता की उस समय में धरती पर वापसी की बात कही गई है । इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है ।
ब्रूकलिन यू एस । माया सभ्यता की भविष्यवाणियां हों । या सनातन धर्म की मान्यताएं । या फिर हॉलीवुड फिल्में - डे आफ्टर टुमौरो । और - 2012 की सिनेमेटोग्राफी । इन सबमें 1 बात समान है । और वह है - 1 दिन दुनिया के अंत की परिकल्पना । जाहिर है कि उस अंत की कल्पना अकल्पनीय है । लेकिन 1 कलाकार ने अंत के बाद की उस दुनिया की कल्पना को अपने जुदा अंदाज में पेश किया है ।
ग्वाटेमाला में काम कर रहे पुरातत्वविदों का कहना है कि उन्होंने प्राचीन माया सभ्यता का अब तक का सबसे पुराना कैलेंडर खोज निकाला है । जिसमें इस बात का कोई संकेत नहीं मिलता कि दुनिया का अंत करीब है । पुरातत्वविदों का कहना है कि - ये कैलेंडर 9वी सदी का है । जिसे अमरीकी शोधकर्ताओं ने सल्टन के भग्नावशेषों से ढूढा है ।
सभी  जानकारी साभार विभिन्न इंटरनेट स्रोत से

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