शुक्रवार, जून 01, 2012

BIG BANG

दूनिया का अब तक का सबसे बडा वैज्ञानिक परीक्षण फ्रांस और इटली की सीमा के पास किया जायेगा । इस परीक्षण से वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अंतरिक्ष की उत्पत्ति सहित कई सारी अन्य बातों की खोज की जा सकेगी । कुछ लोगों द्वारा इस प्रयोग को पृथ्वी के विनाश का कारण बताया जा रहा है । लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं होगा ।
क्या है परीक्षण ? यूरोपियन आर्गेनाइजेशन फोर न्यूक्लियर रिसर्च यानी सर्न द्वारा किये जा रहे इस प्रयोग का नाम - लार्ज हेड्रोन कोलाइडर है । अरबों वर्ष पूर्व हुये BIG BANG और उसके बाद बने अंतरिक्ष की घटना को यह प्रयोग फिर से पुन:निर्मित करेगा । इस कोलाइडर को बनाने मे 20 वर्ष लगे हैं । इस पर 80 देशों के 7 000 वैज्ञानिक काम कर रहे हैं । और इस योजना पर कुल 17 852 करोड़ रूपयों का खर्च हो चुका है ।
कोलाइडर क्यों बनाया गया ? इस परियोजना पर काम कर रही टीम BIG BANG के तुरन्त बाद की स्थिति को प्रयोगशाला में फिर से जीवित करना चाहती है । इससे पदार्थ MATTER । विपरीत पदार्थ ANTI MATTER अंतरिक्ष और समय के बारे में और अधिक और सटीक जानकारी मिल सकेगी । अंतरिक्ष और उसकी उत्पत्ति को लेकर हमारी समझ अभी भी पुख्ता नहीं है । यह प्रयोग अब तक मानी जा रही व्याख्याओं को बदल सकता है । अथवा उसके समर्थन मे और अधिक आँकडे प्रदान कर सकता है ।
यह कैसे होगा - फ्रांस और स्विटजरलैंड की सीमा के पास जिनेवा से करीब 12 किमी दूर सर्न के मुख्यालय के समीप जमीन में 50-175 मीटर नीचे 27 किमी लम्बी सुरंग खोदी गई है । इस सुरंग मे प्रोटोन की बीम को छोडा जायेगा । सुरंग मे लगे सुपर कंडक्टिंग चुम्बक और एक्स्लरेटिंग ढांचे इस बीम को उर्जा देकर इसकी गति को और अधिक बढायेंगे । यह सुरंग गोलाकार खोदी गई है । और प्रोटोन की 2 बीम विपरीत दिशाओं से छोडी जायेगी । जो अंत में एक दूसरे से टकरायेगी । ये प्रोटोन लगभग प्रकाश की गति से यात्रा करेंगी । L.H.S का व्यास बडा रखा गया है । ताकि प्रोटोन तेजी से यात्रा कर सकें । इसके अलावा सुरंग मे बिछाई गई पाइप में हवा की मौजूदगी भी नहीं होगी । ताकि अणुओं की यात्रा मे व्यवधान न आए ।
2 बीम का इस्तेमाल ही क्यों - 2 बीमों को आपस मे टकरा जो नतीजे प्राप्त किये जा सकेंगे । वह 1 बीम को किसी स्थिर माध्यम से टकरा कर प्राप्त नहीं किये जा सकेंगे । 2 बीम एक दूसरे से विपरीत दिशाओं मे यात्रा कर 1 निश्चित स्थान पर टकरायेंगे । टकराते ही वे उर्जा का स्रोत प्रवाहित करेंगे । और सर्न को उम्मीद है कि - 1 छोटा ब्लैक हाल तैयार होगा ।
इससे कितने आँकडे मिलेंगे - वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस टक्कर के दौरान और उसके बाद काफी आँकडे 
प्राप्त होंगे । वैज्ञानिकों ने डाटा कॉपी करने के लिए 700 GB आँकडे स्टोर कर सकने लायक विशेष मेग्नेटिक टेप सेट अप की है । इसके अलावा दूनिया भर में 1 लाख कम्प्यूटरों का ग्रिड तैयार किया गया है । जो बैक अप का काम देगा ।
क्या इस प्रयोग से दूनिया तबाह हो जाएगी - नहीं । दोनों बीमों के आपस मे टकराने से जो प्रभाव पैदा होगा । वह हॉकिंग प्रभाव के चलते तुरन्त ही खत्म हो जायेगा । हॉकिंग रेडियेशन ब्लेक हॉल को अपना दल  mass छोडने देता है । ब्लेक हॉल जितना दल ग्रहण करेंगे । उससे अधिक खोकर तुरंत ही सिकुड कर समाप्त हो जाएँगे । करोडों वर्षो से पृथ्वी के उपर कोस्मिक किरणों की उर्जा टकराती रहती है । यह उर्जा इस प्रयोग मे इस्तेमाल हो रहे कोलाइडर द्वारा छोडी जाने वाली उर्जा से कहीं अधिक होती है । इससे यह सिद्ध होता है कि कोलाइडर द्वारा उत्सर्जित छोटा ब्लेक हॉल खतरनाक नहीं होगा । इसके अलावा कोलाइडर द्वारा किसी भी प्रकार के मेग्नेटिक मोनोपोल और अन्य खतरनाक अणुओ का उत्सर्जन करने की सम्भावना भी नहीं है ।

सभी जानकारी साभार विभिन्न इंटरनेट स्रोत से

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