शुक्रवार, जून 01, 2012

21 DEC 2012

हमारी आकाश गंगा galaxy जिसका नाम है - मिल्की वे । इस आकाश गंगा में धरती 1 छोटा सा ग्रह मात्र है । जो कि मिल्की वे के विशालकाय तारों और अन्य ग्रहों के मुकाबले 1 छोटे से कंकर के समान है । 1 आकाश गंगा में अरबों तारे ( लगभग 250 बिलियन ( अरब ) सितारों का समूह )  ग्रह । नक्षत्र और सूर्य हो सकते हैं ।
हमारी आकाश गंगा की तरह लाखों आकाश गंगायें हैं । प्रत्येक आकाश गंगा galaxy में सितारों के परिवार हैं । ग्रह । नक्षत्र । उपग्रह । एस्ट्रायड । धूमकेतू । उल्का पिंड और ज्वाला की भीषण भट्टियों के रूप में गैसों का अग्नि तांडव ( गैसीय पिंड ) है ।
बृह्मांड की अपेक्षा धरती 1 जर्रा भी नहीं है । वैज्ञानिक शोध अनुसार धरती के समान करोड़ों अन्य धरती हो सकती हैं । जहाँ जीवन हो भी सकता है । और नहीं भी । अनंत है संभावनायें ।
जिस तरह धरती घूमती है । उसी तरह वह घूमते हुए हमारे सूर्य का चक्कर लगाती है । शनि । शुक्र । मंगल । बुध । प्लूटो और नेपचून सहित हमारे सौर मंडल में स्थिति सभी उल्कायें सूर्य का चक्कर लगाती हैं । सभी सूर्य के कारण अपनी अपनी धूरी पर चलायमान हैं । लेकिन उनमें से कुछ उल्का्यें जब अपने पथ से भटक जाती हैं । तो वे सौर मंडल के किसी भी ग्रह से आकर्षण में आकर उस पर गिर जाती है । या उसका सौर पथ पहले की अपेक्षा और लम्बा या छोटा हो जाता है । यह भी हो सकता है - वे उल्कायें इस कारण स्वत: ही जल कर नष्ट हो जा्यें ।
जिस तरह धरती पर ज्वालामूखी फूट रहे हैं । सूनामी आ रही है । भूकंप उठ रहे हैं । तूफान आ रहे हैं । उसी तरह सूर्य सहित अन्य ग्रहों पर भी ये प्राकृतिक आपदायें होते रहती हैं । जो ग्रह जितना बड़ा । वहाँ आपदायें भी उतनी बढ़ी । और उसका प्रभाव उतना व्यापक । यदि सूर्य पर कोई बड़ी घटना घटती है । तो उसका प्रभाव धरती पर भी होता हैं । उसी तरह धरती का प्रभाव चंद्रमा पर भी होता है । इस प्रभाव से मौसम में परिवर्तन देखने को मिलता है । मौसम के बदलने से भूगर्भ हलचलें और बढ़ जाती है ।
एस्ट्रायड ( उल्का पिंड ) या गैसीय पिंड के धरती के नजदीक से गुजरने या धरती से टकराने से धरती की 
जलवायु में भारी परिवर्तन देखने को मिलता है ।
मानव ने ठंड से बचने के उपाय तो ढूंढ लिये । भूकंप । तूफान और ज्वालामुखी से बचने के उपाय भी ढूंढ लिये । लेकिन धरती को सूर्य । एस्ट्रायड या अन्य ग्रहों के दूष्प्रभाव से कैसे बचा जा्ये ? इसका उपाय अभी नहीं ढूंढा है । धरती को बचाये रखना है । तो जल्द ही इसके उपाय ढूंढना होंगे ।
ज्योतिष । धार्मिक । पंडित । या विज्ञान जगत के कुछ लोगों द्वारा पिछले कई वर्षों से दुनिया के खत्म होने का दावा किया जाता रहा है । इसके लिए समय समय पर बाकायदा तारीखें बताई गई हैं । 4 से 5 बार बताई गई तारीखें अब तक झूठी साबित हुई । नई तारीखों में 21 MAY 2011 और 21 DEC 2012 को प्रलय की भविष्‍यवाणी की गई है ।
इन भविष्यवाणियों का आधार क्या है ? यह समझने की जरूरत है । विश्व के अलग अलग हिस्सों में - सुनामी । बाढ़ । भूकंप जैसी प्राकृतिक घटनाओं से होने वाली तबाही ऐसी बातों को और बल देती हैं । प्रकृति की भयावह घटनाओं को देखते हुए जनता को भविष्यवाणियों द्वारा और भयभीत किया जाता रहा है । आखिर इस तरह की भविष्यवाणी करने का उद्देश्य क्या है ? यह सोचा जाना अभी बाकी है ।
इन सभी भविष्यवाणियों के चलते आओ हम जानते हैं कि - धर्म । विज्ञान और ज्योतिष की धारणा इस संबंध में क्या कहती है ?
माया कैलेंडर में 21 DEC 2012 के बाद की तिथि का वर्णन नहीं है । कैलेंडर अनुसार उसके बाद पृथ्वी का अंत है । इस पर यकीन करने वाले कहते हैं - हजारों साल पहले ही अनुमान लगा लिया गया था  21 DEC 2012 पृथ्वी पर प्रलय का दिन होगा । गणित और खगोल विज्ञान के मामले में बेहद उन्नत मानी गई इस सभ्यता के कैलेंडर में पृथ्वी की उमृ 5126 वर्ष आंकी गई है ।
कुछ वैज्ञानिक ऐसी किसी भी आशंका से इंकार करते हैं । वैज्ञानिकों का मानना है कि बृह्मांड में ऐसे हजारों ग्रह और उल्का पिंड हैं । जो कई बार धरती के नजदीक से गुजर ‍चुके हैं । 1994 में 1 ऐसी ही घटना घटी थी । पृथ्वी के बराबर के 10-12 उल्का पिंड बृहस्पति ग्रह से टकरा गये थे । इसका नजारा महा प्रलय से कम नहीं था । आज तक उस ग्रह पर उनकी आग और तबाही शांत नहीं हुई है ।
वैज्ञानिक मानते हैं - यदि बृहस्पति ग्रह के साथ जो हुआ । वह भविष्य में कभी पृथ्वी के साथ हुआ । तो तबाही तय हैं । लेकिन यह सिर्फ आशंका है । आज वैज्ञानिकों के पास इतने तकनीकी साधन हैं कि - इस तरह की किसी भी उल्का पिंड की मिसाइल द्वारा दिशा बदल दी जाएगी । इसके बावजूद फिर भी जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग तबाही का 1 कारण बने हुए हैं ।
कुछ महीनों पहले अमेरिका के खगोल वैज्ञानिकों ने घोषणा की - 13 APR 2036 को पृथ्वी पर प्रलय हो सकता है । उनके अनुसार अंतरिक्ष में घूमने वाला 1 ग्रह एपोफिस 37014.91 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से पृथ्वी से टकरा सकता है । इस प्रलयंकारी भिडंत में हजारों लोगों की जान जा सकती है । हालांकि NASA के वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे लेकर घबराने की कोई जरूरत नहीं है ।
NASA वैज्ञानिकों ने दावा किया  - 2012 में धरती पर भयानक तबाही आने वाली है । वैज्ञानिकों ने पिछले साल AUG में सूरज में कुछ अजीबो गरीब हलचल देखी । NASA के उपग्रहों से रिकॉर्ड करने के बाद वैज्ञानिकों ने आग के बादलों से धरती पर भयानक तबाही की चेतावनी दी । NASA मानता है कि आग की ये लपटें सूरज की सतह पर हो रहे चुंबकीय विस्फोटों की वजह से पैदा हुयीं । लावे का ये तूफान धरती की तरफ रुख कर चुका है ।  ये तूफान कभी भी धरती से टकरा सकता है ।
बाइबिल के जानकारों का मानना है - प्रभु यीशु का पुन: अवतरण होने वाला है । लेकिन इसके पहले दुनिया का खत्म होना तय है । और वह दिन बहुत ही निकट है । बस कुछ लोग ही बच जायेंगे । इस दिन प्रभु न्याय करेगा । कुछ ईसाई जानकारों के अनुसार प्रलय 2012 के आसपास ही कही गई है । बाइबल का वर्षों तक अध्ययन करने के बाद हेराल्ड कैंपिन ने कहा - प्रलय का दिन 21 MAY 2011 है ।
इस्लाम में भी प्रलय का दिन माना जाता है । जिसे कयामत कहा गया है । इसके अनुसार अल्लाह 1 दिन संसार को समाप्त कर देगा । यह दिन कब आयेगा ? यह केवल अल्लाह ही जानता है । इस्लाम के अनुसार शारीरिक रूप से सभी मरे हु्ये लोग उस दिन जी उठेंगे । और उस दिन हर मनुष्य को उसके अच्छे और बुरे कर्मों का फल दोजख और जन्नत के रूप में दिया जाएगा । इस्लाम के अनुसार कयामत के दिन के बाद दोबारा संसार की रचना नहीं होगी ।
प्रलय के संबंध में हिंदू धर्म की धारणा मूल रूप से वेदों से प्रेरित है । प्रलय का अर्थ होता है । संसार का अपने मूल कारण प्रकृति में सर्वथा लीन हो जाना । प्रलय 4 प्रकार की होती है - 1 नित्य । 2 नैमित्तिक । 3 द्विपार्थ । और 4 प्राकृत । प्राकृत ही महा प्रलय है । जो कल्प के अंत में होगी । 1 कल्प में कई युग होते हैं । यह युग के अंत में प्राकृत प्रलय को छोड़कर कोई सी भी प्रलय होती है । हिन्दू धर्म मानता है - जो जन्मा है । वह मरेगा । सभी की उमृ निश्चित है । फिर चाहे वह सूर्य हो । या अन्य ग्रह ।
सवाल है - प्रलय की धार्मिक मान्यता में कितनी सच्चाई है ? या यह सिर्फ कल्पना  है । जिसके माध्यम से लोगों को भयभीत करते हुए धर्म और ईश्वर में पुन: आस्था को जगाया जाता है । जहाँ तक सवाल वैज्ञानिक दृष्टिकोण का है । तो वह भी विरोधाभासी है ।
भूकंप और सुनामी से हुई तबाही को पुरी दुनिया ने देखा है । 9.0 से लेकर 9.9 तक तीवृता का भूकंप हजारों किमी के क्षेत्र में तबाही मचा सकता है । अब तक दर्ज मानव इतिहास में 10.0 या इससे अधिक का भूकंप आज तक नहीं आया । भूकंप से अब तक लाखों लोगों की जान जा चुकी है । भूकंप के झटके खा खाकर धरती अपनी धुरी से लगभग 1 डिग्री खिसक चुकी है ।
भूकंप अकसर भू गर्भीय दोषों के कारण आते हैं । भूकंप प्राकृतिक घटना या मानव जनित कारणों से हो सकता है । धरती या समुद्र के अंदर होने वाली विभिन्न रासायनिक क्रियाओं के कारण ये भूकंप आते हैं । अधिकांश भूकंपों की उत्पत्ति धरती की सतह से 30 से 100 किमी अंदर होती है । सतह के नीचे धरती की परत ठंडी होने और कम दबाव के कारण नष्ट होती है । ऐसी स्थिति में जब अचानक चट्टानें गिरती हैं । तो भूकंप आता है ।
सीधी भाषा में कहें । तो धरती की ऊपरी परत से लगभग 30 किमी नीचे कई प्लेटें हैं । अर्थात हजारों किमी लंबी चट्टानें । जो बहुत सी जगहों से टूट चुकी है । यह जब सरकती है । तो धरती की ऊपरी परत पर जोरदार कंपन होता है । इसे ही भूकंप कहते हैं । भूकंप का कारण भीतरी भू स्खलन । ज्वालामुखी और गहरी मीथेन गैसे भी हैं । 1 और कारण है । धरती के भीतर मानव द्वारा नाभिकीय परीक्षण करना । वैज्ञानिकों को आशंका है - भूकंप कभी भी धरती के लिए जान लेवा बन सकता है ।
ब्लैक होल black hole को कृष्ण विवर कहते हैं । कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के खगोलविदों के नेतृत्व में 1 दल ने 30 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर मौजूद निहारिकाओं में 2 विशालकाय ब्लैक होल का पता लगाया । जो आकार में हमारे सूर्य से 10 अरब गुना बड़े हैं । इससे पहले पाया गया सबसे बड़ा ब्लैक होल सूर्य से 6 अरब गुना बड़ा बताया गया था ।
खगोल वैज्ञानिक अंतरिक्ष के अथाह सागर में ब्लैक होल  black hole  जैसे कुछ ऐसे भागों की संभावना बताते हैं । जहाँ कोई भी वस्तु । पदार्थ । और यहाँ तक कि प्रकाश भी विलीन हो जाता है । यह 1 ऐसा अंधकारमय क्षेत्र होता है । जिसे देखा नहीं जा सकता । इसीलिए इसे ब्लैक होल  black hole कहते हैं ।
ब्लैक होल असल में 1 अति घनत्व और विशाल आकार वाला मृत तारा होता है । इसका गुरुत्व बल इतना ज्यादा होता है कि यह अपने आसपास के सभी पदार्थों को उनके मार्ग से भटका कर अपनी ओर खींच लेता है । इस जबरदस्त गुरुत्वाकर्षण के कारण अगर कोई चीज 1 बार इसमें चली जाए । तो वह फिर कभी बाहर नहीं आ पाती । ब्लैक होल अपने आस पास के छोटे छोटे तारों ग्रहों आदि को भी निगलते रहते हैं । खगोलविद मानते हैं - आकाश गंगाओं galaxy में बहुत से ब्लैक होल उपस्थित हैं । जिनसे धरती को खतरा है ।
1 अध्ययन के अनुसार हमारी आकाश गंगा में 160 अरब ग्रह हैं । जहाँ एलियंस हो सकते हैं । यदि धरती उपरोक्त किसी कारण नष्ट हुई । तो हमें किसी एलियंस के ग्रह पर ही शरण मिल सकती है । कोई एलियंस ही हमें बचा सकता है । या हम कोई नया खाली पड़ा ग्रह ढूंढ लें । और फिर वहीं बस जाएं । लेकिन वैज्ञानिकों का 1 डर यह भी है - कहीं एलियंस ही हमें और धरती को नष्ट न कर दें ?
हर साल धरती पर UFO देखें जाने की चर्चा जोरों से चलती है । दुनिया भर के अखबार वैज्ञानिकों के हवाले से भर जाते हैं । UFO मतलब एलियंस का अंतरिक्ष यान । सवाल उठता है कि - क्या एलियंस 1 हकीकत है । इस विज्ञान कल्पना पर कई फिल्में बन चुकी हैं । बहुत से वैज्ञानिक मानते हैं - एलियंस अब महज ख्वाब नहीं । हकीकत हैं । वैज्ञानिकों का 1 दल अब ये भी सोच रहा है - वो कभी भी सामने आयेंगे ।
बहुत से अमेरिकी पायलट कहते हैं - हमने UFO को देखा है । कुछ ऐसा दावा करते हैं कि - अमेरिका जब चांद पर पहुंचा । तो उसका सामना वहाँ एलिएंस से हुआ था । कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि शुक्र और मंगल ग्रह पर हो एलियंस सकते हैं । हाल ही में अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने एलियंस के होने के सबूत जुटायें हैं । एलियंस को लेकर दुनिया में हड़कंप मच हुआ है । यदि उनका वजूद है । तो निश्चित ही हमसे ज्यादा तकनीकी सम्पन्न होंगे । और अब हमें उनका गुलाम बनने के लिए तैयार रहना चाहिये । या वे हमारे जैसे मूर्ख और लङाकू रहे । तो धरती को नष्ट करने में लग जायेंगे । इसमें कोई शक नहीं कि यदि वे हमारे जैसे रहे । तो खुद की धरती की संपदा को खत्म करके हमारी धरती की संपदा लूटने आयेंगे । याद है न आपको हॉलीवुड की फिल्म - अवतार ।
यह बहस का विषय है कि क्या 21 या 23 DEC 2012 को दुनिया समाप्त हो जायेगी । पृथ्वी की आयु समाप्त हो जायेगी । या प्रलय हो जायेगी ? इस पर अनेकों मत हैं । अनेक प्रकार के भृम हैं । इस बहस को 2 तर्कों के आधार पर हवा दी जा रही है । जिनमें 1 है - माया सभ्यता ( ई.पू. 3500 - 900 ) का माया कैलेण्डर । तथा दूसरा है - माइकेल द नास्त्रेदम ( 1503 - 1566 ) की भविष्यवाणी । इस बहस को सबसे अधिक हवा दी है । इण्टरनेट तथा इलेक्ट्रानिक मीडिया ने ।
हिस्ट्री चैनल का 1 प्रसारण - सूर्य 2012 में अपने मूल पथ से विचलित होकर 300 ऊपर आकाश गंगा के दक्षिण स्थित मृत्यु राशि - डार्क रिफ्ट ( काला घेरा ) को स्पर्श करेगा । और पुन: अपनी मूल राशि में नहीं लौटेगा । इससे सृष्टि विनाश की आशंका है । क्योंकि यह 1 अनहोनी घटना होगी ।
26 MAY 2009 को INDIA TV का 1 प्रसारण - लगभग 5000 वर्ष पूर्व अमेरिका में रहने वाली माया सभ्यता की 1 ऐसी गुफा खोजी गयी है । जिसमें अनेक नरमुण्ड । कंकाल । तथा भविष्यवाणी की 1 पुस्तक मिली है । जिसके अनुसार 23 DEC 2012 को विश्व में प्रलय हो जाएगी । और अधिकांश सभ्यता नष्ट हो जायेगी ।
उल्लेखनीय है - दक्षिणी अमेरिका । मैक्सिको आदि में ईसा पूर्व 3500 से ईसा पूर्व 900 तक माया सभ्यता का अस्तित्व रहा । इसके 1 शासक स्मॉक स्क्वाड्रल के शासन काल में उनके रणनीतिकार टपोरी ने हजारों वर्षों का 1 कैलेण्डर बनाया । जिसे माया कैलेण्डर कहा गया । कहते हैं । इस कैलेण्डर का निर्माण टपोरी ने तब किया । जब वह 1 अपराध के कारण सुनसान द्वीप मैनानली पर निर्वासित किया गया था । वहाँ उसने 5125 साल के इस कैलेण्डर को बनाया । जिसमें 21 DEC 2012 तक ही अंतिम तिथि है । कहते हैं । यहाँ तक कैलेण्डर बनाने के पश्चात टपोरी उस द्वीप से किसी तरह पलायन कर गया ।
इस कैलेण्डर में ऐसा कहीं उल्लेख नहीं है कि - इस तिथि के बाद दुनिया समाप्त हो जायेगी । अपितु बाद की तिथि की गणना न होने से उस दिन कैलेण्डर की मियाद समाप्त हो रही है । अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार भी इस दिन माया कैलेण्डर की मियाद समाप्त हो रही है । जिसके ठीक बाद 1 नया चक्र प्रारम्भ होगा । और यही कैलेण्डर पुन: जारी हो जायेगा ।
धर्म । विज्ञान और ज्योतिष की धारणा इस संबंध में क्या कहती है ? 1 JAN 2012 से 21 DEC 2012 तक ऐसी कई भविष्यवाणियाँ हैं । जिन्हें कई विशेषज्ञों के अनुसार साल 2012 में घटित होनी है ।
2012 में दुनिया में महा विनाश होने के माया कैलेण्डर का डर क्या होगा ? माया सभ्यता 300 से 900 ई. के बीच मेक्सिको । पश्चिमी होंडूरास और अल सल्वाडोर आदि इलाकों में फल फूल रही थी । माया सभ्यता के लोग मानते थे - जब इस कैलेंडर की तारीखें खत्म होती हैं । तो धरती पर प्रलय आता है । और नये युग की शुरुआत होती है । इसका कैलेडर ई. पू. 3114 से शुरू हो रहा है । जो बक्तूनों में बंटा है । इस कैलेंडर के हिसाब से 394 साल का 1 बक्तून होता है । और पूरा कैलिंडर 13 बक्तूनों में बंटा है । जो 21 DEC 2012 को खत्म हो रहा है ।
माया कलेंडर में 1 साथ 2-2 साल हैं । पहला  260 दिनों का । और दूसरा 365 दिनों के चलते थे । 365 दिन का साल तो निश्चित तौर पर सौर गति पर आधारित होता होगा । जबकि 260 दिनों का साल संभवत: 9 चंद्र मास का होता हो । इस तरह इसके 4 चंद्र वर्ष पूरे होने पर 3 सौर वर्ष ही पूरे होते होंगे । जिसका सटीक तालमेल करते हुए वर्ष के आकलन के साथ ही साथ ग्रह नक्षत्रों और सूर्य ग्रहण । चंद्र ग्रहण तक के आकलन का उन्‍हें विशिष्‍ट ज्ञान था । इससे उनके गणित ज्‍योतिष के विशेषज्ञ होने का पता तो चलता है । पर फलित ज्‍योतिष की विशेषज्ञता की पुष्टि नहीं होती ।
कोर्नल विश्वविद्यालय में खगोलविद ऐन मार्टिन का भी कहना है - माया कैलेंडर का डिजायन आवर्ती है । ऐसे में कहना कि दीर्घ गणना DEC 2012 को समाप्त हो रही है । सही नहीं है । यह बिल्कुल वैसा ही है । जैसे हमारी सभ्यता ने नई सहस्त्राब्दी का स्वागत किया था । इस प्रकार यह माना जा सकता है - माया कैलेण्‍डर के वर्ष का समाप्‍त होना बिलकुल सामान्‍य घटना है ।
हिस्ट्री चैनल ने जो सूर्य के विचलन एवं मृत्यु राशि डार्क रिफ्ट  की बात कही है । यह 1 सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया है । नक्षत्र वैज्ञानिकों के अनुसार - प्रत्येक 72 वर्ष के अंतराल पर सौर प्रणाली में 1 डिगरी का विचलन होता है । तथा 2160 साल में यह विचलन 300 हो जाता है । जब सूर्य अपने पथ से विचलित होकर 300 ऊपर आकाश गंगा के मार्ग में आ जाता है । और वह उसके दक्षिण स्थित डार्क रिफ्ट को स्पर्श करता है । इस स्पर्श से किसी 1 राशि के जीवन काल की समाप्ति होती है । और यही 2160 वर्ष 1 राशि के समाप्त होने का 1 चक्र होता है । इस समय प्रात: बेला में आकाश में तारा मण्डल साफ साफ दिखायी देता है । नक्षत्र वैज्ञानिकों के अनुसार 21 DEC 2012 को प्रात: 11 बजकर 12 मिनट पर सूर्य डार्क रिफ्ट को स्पर्श करेगा । भौतिक शास्त्रियों के अनुसार कुल 12 राशियों के समाप्त होने में लगभग 26000 वर्ष लगते हैं । जब सूर्य के पूर्ण विचलन का 1 चक्र सम्पूर्ण होता है । एवं सूर्य 3600 विचलित होते होते पुन: पूर्व स्थिति में आ जाता है ।
हिन्दू दर्शन तथा आध्यात्मिक चिन्तन के अनुसार जगत में प्रलय की घटना निरन्तर होती रहती है । हिंदू धर्म ग्रन्थों में 4 प्रकार के प्रलय का उल्लेख मिलता है - 1 नित्य । 2 नैमित्तिक ( या महा प्रलय ) 3 प्राकृतिक । एवं 4 आत्यन्तिक । क्षण प्रति क्षण का परिवर्तन नित्य है । त्रैलोक्य एवं सृष्टि का विलय नैमित्तिक हैं । सम्पूर्ण बृह्माण्ड एवं तत्वों का प्रकृति में विलय प्राकृतिक है । जीव का आत्मा रूप होना । आत्यन्तिक प्रलय कहलाता है । इस तरह सम्पूर्ण सृष्टि को समाप्त करने वाला महा प्रलय प्रत्येक कल्प के अंत में होता है ।
हिंदू दर्शन एवं अध्यात्म में 4 युग माने गये हैं । 4 युगों को महा युग कहते हैं । जिसकी आयु सूर्य सिद्धांत के अनुसार 43.20 लाख वर्ष है । 71 महा युग का 1 मन्वन्तर । 14 मन्वन्तर का 1 कल्प होता है । इस कल्प की समाप्ति पर ही महा प्रलय होता है ।
वर्तमान कलियुग का प्रारम्भ - ईसा पूर्व 3012 की 20 FEB को हुआ था । और अभी तक इसे आये 5212 वर्ष पूर्ण होने वाले हैं । जबकि कलियुग की आयु 4.32 लाख वर्ष है । अत: हिन्दू दर्शन की मान्यता अनुसार 2012 में महा प्रलय की कोई संभावना ही नहीं है ।
दुनिया के नष्‍ट होने की संभावना में 1 बडी बात यह भी आ रही है कि ऐसा संभवतः पृथ्‍वी के चुंबकीय ध्रुव बदलने के कारण होगा । वास्‍तव में हम लोग सूर्य की सिर्फ 1 दैनिक और 2 वार्षिक गति के बारे में जानते हैं । जबकि इसके अलावा भी सूर्य की कई गतियां हैं । सूर्य की 3rd गति के अनुसार पृथ्वी कृमश: अपनी धुरी पर भी झुकते हुए घूमती रहती है । इस समय पृथ्‍वी की धुरी सीधे ध्रुव तारे पर है । इसलिये ध्रुव तारा हमको घूमता नहीं दिखाई पड़ता है । इस तरह हजारों साल पहले और हजारों साल बाद हमारा ध्रुव तारा परिवर्तित होता रहता है । धीरे धीरे ही सही झुकते हुए पृथ्‍वी 25700 साल में 1 बार पूरा घूम जाती है । पर यह अचानक 1 दिन में नहीं होता । जिस तरह धरती की धुरी पलटने की बात की जा रही है । उस पर NASA के प्रमुख वैज्ञानिक और आस्क द एस्ट्रोबायलॉजिस्ट के चीफ डॉ. डेविड मॉरिसन का कहना है - ऐसा कभी न तो हुआ है । न ही भविष्य में कभी होगा ।
इंटरनेट पर कुछ अज्ञात वैज्ञानिकों के हवाले से लिखा जा रहा है - planet X निबिरू नाम का 1 ग्रह DEC 2012 में धरती के काफी करीब से गुजरेगा । पर NASA का कहना है - planet  x निबिरू नाम के जिस ग्रह की 2012 DEC को धरती से टकराने की बात की जा रही है । उसका कहीं अस्तित्व ही नहीं है । जबकि ये वैज्ञानिक कहते हैं कि यह टक्कर वैसी ही होगी । जैसी उस वक्‍त हुई थी । जब पृथ्वी से डायनासोर का नामोनिशान मिट गया था । अपने 1 वक्तव्य में NASA ने यह स्‍वीकारा है - इस समय 1 ही लघु ग्रह है - एरिस । जो सौर मंडल की बाहरी सीमा के पास की कुइपियर बेल्ट में पड़ता है । और आज से 147 साल बाद 2257 में पृथ्वी के कुछ निकट आएगा । तब भी उससे 6 अरब 40 करोड़ किमी दूर से निकल जाएगा । अब ऐसी स्थिति में DEC 2012 में ऐसी संभावना की बात भी सही नहीं लगती ।
नास्त्रेदम की भविष्यवाणी को सुलझाने का दावा करने वाले लोग भी 21 DEC 2012 की तारीख को महत्वपूर्ण मानते हैं । परन्तु पृथ्वी की आयु इतनी अधिक है कि - इस दिन पृथ्वी के नष्ट होने या प्रलय की कोई संभावना नहीं है ।
कुरआन में मुहम्मद ने कयामत के जो 6 लक्षण बताये हैं । उनमें से कुछ अभी तक प्रकट नहीं हुये हैं । जैसे - अराजकता । खूनी हिंसा । जिसमें अरब का कोई घर सलामत न रहे । तथा दूसरा जब रोमन 80 झण्डों के साथ सैन्य शक्ति लेकर अरब पर हमला करें । अत: कुरआन के अनुसार भी अभी दुनिया समाप्त नहीं हो रही  ।
न्यू टेस्टामेण्ट ( बाइबल ) में पतरस की पहली पत्री 18:20 के वर्णन के अनुसार 2012 में आर्मागडेन ( अंतिम युद्ध ) प्रारम्भ होगा । जो अच्छाई तथा बुराई के बीच संघर्ष करेगा । किन्तु यह युद्ध कब समाप्त होगा । इसका उल्लेख उसमें नहीं है । भले ही ईसाई इसे अंतिम युग मानते हों ।
पर मैथ्यू 24:36 के अनुसार ‘कोई भी वह घड़ी या वह दिन समय नहीं जानता । जब ईश्वर न्याय करेगा । यहां तक कि स्वर्ग में रहने वाले देवदूत भी । तब 2012 अंतिम युग का समाप्त करने वाला कैसे हो सकता है ?
कुछ इण्टरनेट एवं मीडिया चैनलों में ऐसा कहा गया -  21 DEC 2012 को हाल ही में खोजा गया धुंधला अस्पष्ट 10वां ग्रह नीबिरू पृथ्वी से टकरायेगा । जिससे पृथ्वी का अंत हो जाएगा । कुछ छदम वैज्ञानिकों के अनुसार इस 10वें ग्रह की खोज सुमेरियनों द्वारा की गयी । और उन्होंने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA  पर आरोप लगाया कि - उन्होंने इस खोज की खबर को छिपाया । जबकि NASA  ने इसे मिथ्या । काल्पनिक तथा इण्टरनेट द्वारा फैलाया गया झांसा कहा ।
1 ब्रिटिश समाचार पत्र के हवाले से कहा गया - इस दावे में कोई भी वास्तविकता नहीं है । और उसमें नासा के प्रतिवाद का समर्थन किया गया है । इतना ही नहीं । कुछ वैज्ञानिक 21 या 23 DEC 2012 को सौर तूफान आने की आशंका व्यक्त कर रहे हैं । जब सूर्य की तीवृता में अचानक वृद्धि हो जायेगी ।
प्रगति प्रकाशन ( मास्को ) द्वारा प्रकाशित पुस्तक धरती और आकाश के अनुसार सूर्य का जन्म 10 अरब वर्ष पूर्व हुआ । तथा लगभग 6 अरब वर्ष पश्चात सूर्य रक्त दानव बन जायेगा । इसके ताप में इतनी वृद्धि हो जायेगी कि निकटस्थ ग्रह पिघल कर इसके उदर में समा जायेंगे । समुद्र सूख जायेंगे । पृथ्वी राख बन जायेगी । तदनन्तर 10 करोड़ वर्षों में सूर्य बौना हो जायेगा । उसका ताप समाप्त हो जायेगा । और सृष्टि पुन: प्रारम्भ होगी । इस तरह 2012 में ही सूर्य की ताप तीवृता में वृद्धि या सौर तूफान आने की कल्पना निराधार है ।
कुछ वैज्ञानिक आइन्सटाइन की पोलर शिफ्ट थ्योरी को आधार बना रहे हैं । जिसके अनुसार प्रत्येक 7.50 लाख वर्ष के अंतराल पर दोनों ध्रुव अपना स्थान परिवर्तित करते हैं । इस तरह चुम्बकीय क्षेत्र परिवर्तित हो जाता है । और वे यह अनुमान लगाते हैं - DEC 2012 में यह घटना घटित होगी ।
वैज्ञानिक भू वैज्ञानिक  कहते हैं - 2012 में अमेरिका के विशाल yellow stone ज्वालामुखी में विस्फोट होगा । क्योंकि यह घटना प्रत्येक 6.50 लाख वर्ष में घटती होती है ।
13 NOV 2009 को हालीवुड की सोनी पिक्चर्स ने रोनाल्ड ऐमेरिक द्वारा निर्देशित फिल्म 2012 रिलीज की । जिसमें सौर तूफान । yellow stone ज्वालामुखी विस्फोट के कारण विश्व की सभ्यता एवं पृथ्वी के विनाश का चित्रण किया गया है । इस फिल्म की कथा को लेकर भी NASA  ने कहा - इसमें कोई तथ्य या सच्चाई नहीं है कि सन 2012 में ऐसी कोई घटना घटने वाली है । और दुनिया समाप्त होने वाली है ।
इसके अलावा सुनामी । भूकम्‍प । ज्वालामुखी । ग्लोबल वार्मिग । अकाल । बीमारियां । आतंकवाद । युद्ध की विभीषिका । व अणु परमाणु बम जैसे कारणों से भी प्रलय आने की संभावना व्‍यक्‍त की जा रही है ।
जब अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की ओर से पृथ्‍वी के धुर बदलने या किसी प्रकार के ग्रह के टकराने की संभावना से इंकार किया जा रहा है । तो निश्चित तौर पर प्रलय की संभावना - सुनामी । भूकम्‍प । ज्वालामुखी । ग्लोबल वार्मिग । अकाल । बीमारियां । आतंकवाद । युद्ध की विभीषिका व अणु बम जैसी घटनाओं से ही मानी जा सकती है । जिनका कोई निश्चित चक्र न होने से उसके घटने की निश्चित तिथि की जानकारी अभी तक वैज्ञानिकों को नहीं है ।
20 SEPT 2009  रविवार के दिन इण्डोनेशिया के बाली द्वीप में SAT 19 SEPT को सुबह 6.04 बजे भूकम्प के तेज झटके महसूस किये गये । रिक्टर पैमाने पर 6.4 की तीवृता वाले इस भूकम्प में 9 लोग घायल हो गये । और कई भवन क्षतिग्रस्त हो गए ।
विगत 2 शताब्दियों के दौरान विश्व के विनाश को लेकर अनेक भविष्यवाणियां की गयी ।  MAY 1980 में पैट राबर्टसन ने 1 TV शो में कहा - वह गारंटी के साथ कह रहे हैं कि 1982 के अंत तक विश्व समाप्त हो जायेगा । और ईश्वर सबका न्याय करेगा । जबकि बाइबिल के मैथ्यू 24:36 के अनुसार देवदूत तक यह नहीं जानते हैं । नास्त्रेदम की भविष्यवाणी को समझने के दावे करने वालों ने दावा किया - सन 1999 के 7वें महीने में आकाश से महान शासक लोगों का न्याय करने के लिये आयेगा ।
अमेरिकी लेखक रिचर्ड नून  ने 5 MAY 2000 के लिये दावा किया था - उस दिन भयानक तबाही मचेगी । अण्टार्कटिका में 3 मील मोटी बर्फ जमेगी । स्वर्गस्थ ग्रह नक्षत्र में उथल पुथल होगी ।
गाडस चर्च मिनिस्टर रोनाल्ड वीनलैण्ड ने 2006 में प्रकाशित अपनी पुस्तक - गाडस फाइनल विटनेस में दावा किया - 2008 के अंत तक हजारों करोड़ों लोगों की मृत्यु हो जायेगी ।
चाहे 2012 में दुनिया के खत्म हो जाने की भविष्यवाणी हो । या 2 सूरज और 2 तारों के टकराने की । या फिर ये 13वीं राशि की खोज को लेकर बहस । सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिये ऐसी भविष्यवाणियों । ऐसी बातों पर बहस शुरू होती है । न तो 2012 में दुनिया खत्म हो रही है । न ही 2 सूरज टकराने वाले हैं । और न ही कोई 13वीं राशि मिल गई है ।
2 सूरज या तारों के टकराने की बात भी बचकानी है । यह तो सुपर नोवा super nova ( नया तारा ) की घटना है । जो वैज्ञानिक है । और जिसकी तिथि के बारे में वैज्ञानिकों को भी अभी कुछ पता नहीं है ।
भारत में जिन 5 ग्रंथों के आधार पर भविष्यवाणियां की जाती हैं । वे हैं - 1 जातक पारिजात । 2 यवन जातक । 3 कृष्णमूर्ति पद्धति । 4 लघु पाराशरी । और 5 बृहद जातक ।
विदेशों में ज्योतिष 6 तरह के संबंध मानता है । लुई मैक्नीज के अनुसार ये संबंध हैं - 1 कनजंक्शन । 2 ट्राइन एक्सपेक्ट । 3 स्क्वॉयर एक्सपेक्ट । 4 सेक्सटाइल एक्सपेक्ट । 5 कुइंट सेक्सटाइल एक्सपेक्ट । हमारे यहाँ निरयन पद्धति है । तो वहाँ सायन पद्धति । इसकी वजह से 7 दिन का अंतर आ जाता है । इसकी वजह से ही दोनों जगहों की भविष्यवाणियां मूर्खता पूर्ण होती हैं । सिर्फ कृष्णमूर्ति पद्धति से ही 80% तक परिणाम सही निकलते हैं । क्योंकि उन्होंने कालिदास के आधार को आगे बढ़ाते हुए काम किया था । कालिदास ने अपने ग्रंथ - पूर्व कालामृत और - उत्तर कालामृत में 9 नक्षत्र और 12 राशियां मिलाकर 108 की संख्या बनाई । इस पद्धति को आगे बढ़ाकर कृष्णमूर्ति ने नक्षत्रों की संख्या 27 की । कृष्णमूर्ति को गणेश की सिद्धि प्राप्त थी । लेकिन उनका जो अपना 20% था । उसे वह छिपा गये ।
ज्योतिर्विज्ञान और आयुर्वेद । इन दोनों के विषय में अथर्वा ऋषि ने लिखा है - यह धन कमाने की विद्या नहीं है । इसे अपने सुहृद । अपने बंधु बांधव एवं अपने शासक प्रशासक की रक्षा के लिए इसका प्रयोग करना चाहिए । सामंती युग में हर दरबार में 1 राज ज्योतिषी और राज वैद्य होता था । उसका काम था । अपने राजा की रक्षा करना । अब यह विद्या बाजार में आ गई है । और बिकाऊ हो गई है ।
। जिस माया शिला लेख पर 2012 का ज़िक्र है । उस शिला लेख के 1 नये अध्ययन से पता चलता है कि माया लोगों ने 2012 में पृथ्वी के अंत की नहीं । अपने कैलेंडर के हिसाब से 1 युग के अंत की बात कही थी । यह शिला लेख माया सभ्यता के लोगों ने 1300 साल पहले उकेरा था । माया चिन्हों के जानकार स्वेन ग्रौनेमेयर के अनुसार - यह दिन सृष्टि के दिन की झलक होगा । ग्रौनेमेयर के अनुसार इस दिन माया लोगों के भगवान की वापसी भी होगी । उनका कहना है - बोलोन योक्ते । जो कि माया लोगों के सृष्टि और युद्ध के देवता है । वो माया लोगों के हिसाब से 2012 में वापस लौटेगें । ग्रौनेमेयर कहते हैं कि 2012 में माया लोगो के कैलेण्डर का एक 400 साल का चक्र समाप्त हो रहा है । मेक्सिको के नेशनल इंस्टीटयूट फ़ॉर एनथ्रोपोलॉजिकल हिस्ट्री ने भी इस बात का खंडन करने की कोशिश की है कि माया लोगों के अनुसार सृष्टि में प्रलय आने वाली है । माया लोगों के लिखे हुए 15000 आलेखों में से केवल 2 में साल 2012 का ज़िक्र है । माया सभ्यता पर एक दूसरे विशेषज्ञ एरिक वेलास्क्वेज़ के अनुसार 2012 में प्रलय की बात महज़ बाज़ार की ताकतों का खिलवाड़ है ।
सभी जानकारी साभार विभिन्न इंटरनेट स्रोत से

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