रविवार, अप्रैल 08, 2012

रहस्यमय शव कक्ष

वैसे तो हर घटना के पीछे ही कोई न कोई वैज्ञानिक आधार होता है । लेकिन कभी कभी कई बार ऐसी भी घटना्यें सामने आती हैं । जिसके पीछे कोई प्रत्यक्ष वजह नजर ही नहीं आती । और तब ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे इसके पीछे शायद कोई अदृश्य शक्ति ही हो ।
वेस्ट इंडीज के बार्बाडोस में क्राइस्ट चर्च के पीछे बने विशाल कब्रिस्तान में इसी तरह की एक घटना 19वीं सदी में सबकी जिज्ञासा का केंद्र बनी रही । जहाँ चेज परिवार द्वारा खरीदे गये शव कक्ष । जो चेज वॉल्ट नाम से विख्यात था । में रखे ताबूत 1 नहीं कई कई बार अपनी जगह से इधर उधर खिसके पाये गये । ऐसा लगता था । जैसे किसी ने इन ताबूतों को गुस्से में इधर उधर पटक दिया हो । हर बार ताबूतों को व्यवस्थित ढंग से रखा जाता । लेकिन जब चेज परिवार के किसी सदस्य का शव दफनाने के लिए दुबारा यहां लाया जाता । तो लोग यह देख दंग रह जाते कि ताबूत अपनी जगह पर इधर उधर खिसके हैं । कई शोधकर्ताओं ने इसके पीछे सिर खपाया । लेकिन कोई भी इसका राज पता न कर पाये ।
चेज वॉल्ट नामक शव कक्ष का निर्माण 1724 में जेम्स इलियट नामक संभ्रांत आदमी ने अपने लिए करवाया था । वह बहुत ही धनी व्यक्ति था । इसलिए कुछ अलग दिखने के लिए उसने अपने लि्ये एक लंबे चौड़े शव कक्ष का निर्माण करवाया । यह शव कक्ष 12 फुट गहरा । और 14 फुट लंबा चौड़ा था । यह जमीन के नीचे तहखाने के तौर पर बना था । जिसका कुछ हिस्सा प्रवेश द्वार के रूप में जमीन से 


ऊपर था । और यह विडंबना ही थी कि जिसने अपने लिए इसका निर्माण करवाया था । वह कभी उसमें दफन नहीं किया जा सका । क्योंकि उसकी मौत देश से बाहर रहस्यमय परिस्थितियों में हुई । और उसे वहीं दफना दिया गया ।
इस शव कक्ष में पहला ताबूत 31 जुलाई 1807 में जेम्स के परिवार की थॉमसिना गोडार्ड नामक महिला का रखा गया । और अगले साल ही इस शव कक्ष को बार्बाडोस के एक धनी चेज परिवार द्वारा खरीद लिया गया । हालांकि थॉमस चेज बहुत रसूख वाला आदमी था । लेकिन स्थानीय लोगों में बहुत ही घृणित था । थॉमस चेज का यह दुर्भाग्य ही था कि शव कक्ष खरीदने के 2 महीने बाद ही उसकी छोटी बेटी मेरी एन मारिया की मौत हो गयी । मेरी एन को नये नये खरीदे गये इस शव कक्ष में लकड़ी के बने ताबूत में दफना दिया गया । शव कक्ष में थॉमसिना गोडार्ड का ताबूत पहले से मौजूद था । अब वहां 2 ताबूत थे । इस शव कक्ष को दुबारा खोलने का मौका 5 साल बाद आया । जब थॉमस चेज की दूसरी बेटी डोकार्स चेज भी 1812 में ईश्वर को प्यारी हो गयी । शव कक्ष में पहले से मौजूद 2 ताबूतों की बगल में डोकार्स चेज को भी दफना दिया गया ।
2 बेटियों की मौत के गम ने थॉमस चेज को इस कदर विचलित किया कि 2 महीने बाद वह खुद भी इस दुनिया से विदा हो गया । यह पहला मौका था । जब शव कक्ष में रखी गयी शव पेटिकाओं में हलचल होनी शुरू हुई । और वे अपनी जगह से इधर उधर खिसकी पायी गयी । थॉमस चेज की छोटी बेटी का ताबूत तो उल्टा खड़ा पाया गया । वहीं

डोर्का चेज का ताबूत अपने स्थान से कुछ फीट दूर तिरछा रखा मिला । तब सोचा गया कि संभवत: यह काम चोरों अथवा बदमाशों का हो । थॉमस चेज के ताबूत के साथ ही उसकी दोनों बेटियों के ताबूत को व्यवस्थिति ढंग से रखकर शव कक्ष के प्रवेश द्वार को भारी पत्थर से बंद कर दिया गया ।
चेज परिवार का शव कक्ष अगले मौके पर 25 सितंबर 1816 को खोला गया । जब इस परिवार में सैम्युअल ब्रेस्टा नामक शिशु की लंबी बीमारी के बाद मौत हो गयी । सैम्युअल को दफनाने के लिए जब शव कक्ष खोला गया । तो वहाँ पहुंचे लोग यह देख दंग रह गये कि दूसरी बार भी ताबूत अपनी जगह से इधर उधर खिसके हुए थे । लोग बेहद अचंभित थे कि - ये ताबूत किस तरह अपनी जगह से हट जाते हैं ? जबकि कक्ष के प्रवेश द्वार पर इतना भारी और बड़ा पत्थर था । जिसे 10 आदमी भी मुश्किल से ही हिला पाते थे । पहले की तरह इस बार भी ताबूतों को सही ढंग से रखा गया । और प्रवेश द्वार को ठीक से सील बंद कर दिया गया । 17 जुलाई 1819 को जब चेज परिवार के एक बुजुर्ग सदस्य को दफनाने के लिए

शव कक्ष को फ़िर से खोला गया । तो लोग यह देख कर दहशत में आ गये कि सील बंद होने के बाद भी शव कक्ष में ताबूत अपनी जगह से बेतरतीबी से इधर उधर पड़े थे ।
अब तक यह रहस्यमय घटना स्थानीय क्षेत्र के अलावा आसपास के इलाकों में भी चर्चा का विषय बन गयी थी । यहाँ तक कि बार्बाडोस के गवर्नर लॉर्ड कंबरमेट भी इस घटना से बेहद अचंभित थे । और वे खुद अपनी आंखों से शव कक्ष में बेतरतीब पड़े ताबूतों को देख चुके थे । इस घटना की सच्चाई का पता लगाने के लिए गवर्नर तथा चेज परिवार के सदस्यों ने शव कक्ष का कई कई बार बारीकी से निरीक्षण किया कि कहीं इसमें कोई गुप्त दरवाजा तो नहीं बना दिया गया । जिससे यहाँ रखे गये ताबूतों से छेड़छाड़ की जाती हो । गवर्नर और उसके स्टाफ की मौजूदगी में शव कक्ष का बारीकी से निरीक्षण किया गया । और इस तरह का कोई गुप्त रास्ता नहीं मिला ।
जांच के लिए शव कक्ष के भीतर और बाहर रेत भी बिखराई गयी । ताकि पैरों के निशानों का पता लग सके । इसके साथ ही उन्होंने शव कक्ष के प्रवेश द्वार को पत्थर से ढक कर उसे मजबूती से सीमेंट से बंद कर दिया । और उस पर सील भी लगा दी । ताकि इससे होने वाली किसी भी तरह की छेड़खानी प्रकाश में आ सके ।
18 अप्रैल 1920 को यह शव कक्ष 8 महीने बाद एक बार फिर गवर्नर की मौजूदगी में बिना किसी को दफनाने के उद्देश्य से खोला गया । गवर्नर ताबूतों के खिसकने की सच्चाई का पता लगाना चाहता था कि आखिर इसकी वजह क्या है ? शव कक्ष का प्रवेश द्वार जिस तरह 8 महीने पहले बंद किया गया था । अभी भी ठीक उसी स्थिति में ही था । उस पर जगह जगह लगी सील यथावत थी । प्रवेश द्वार को तोड़ा गया । और शव कक्ष में उतरकर देखा गया । तो जैसे सबके होश ही उड़ गये । ताबूत न सिर्फ इधर उधर खिसके हुए थे । बल्कि 1 ताबूत एक छोर से दूसरे के ऊपर चढ़ा हुआ था । ऐसा प्रतीत होता था । मानो दोनों ताबूत

लड़ते लड़ते इस स्थिति में आ गये हों । शव कक्ष में बिछायी गयी रेत पर किसी तरह के कोई निशान नहीं थे ।
इस दौरान इस क्षेत्र में न कोई भूकंप आया । न ही बाढ़ । इस सारे प्रकरण में एक बात ऐसी थी । जिस पर सबका ध्यान गया । वह थी कि इस शव कक्ष में गोडार्ड नामक महिला का ताबूत जो सबसे पहले रखा गया था । वह हमेशा अपनी ही जगह पर रहता था । यानी एक ताबूत को छोड़ सभी ताबूत अपनी जगह से खिसके हुए होते । लोगों का मानना था कि संभवत: यह गोडार्ड नामक महिला की अशांत आत्मा है । जो अन्य किसी के ताबूत को अपने साथ सहन नहीं करती । इस वजह से ताबूत उससे दूर खिसके होते हैं । धीरे धीरे इस बारे में तरह तरह के रोमांचक किस्से प्रचलित हो गये ।
आखिरकार चेज परिवार ने इस शव कक्ष से परेशान होकर इसे स्थायी तौर से बंद करने का निश्चय किया । और वहाँ रखे अपने परिवार के सदस्यों के ताबूतों को अन्य जगह दफना दिया । उसके बाद ऐसी कोई घटना तो नहीं घटी । लेकिन यह राज कोई न जान पाया कि आखिर खिसकने वाले ताबूतों के पीछे किसका हाथ था ?

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